Friday 11 September 2020

आंगनबाड़ी( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 आंगनबाड़ी



आंगनबाड़ी वह स्थान है जहां बच्चों की देखभाल एवं उनके उचित विकास में सहायता के रूप में बाल विकास सेवा की योजना के क्रम में कई प्रकार की सेवाएं एक ही केंद्र पर गांव के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के अंदर ही स्थापित किए जाते हैं उसे हम आंगनवाड़ी केंद्र कह सकते हैं आंगनवाड़ी केंद्र को चलाने का जिम्मा आंगनबाड़ी कार्यकत्री तथा सुपरवाइजर के द्वारा किया जाता है कार्यकत्री अपने सुपरवाइजर के निर्देशों को एक कार्यक्रम के रूप में बच्चों और माताओं से मिलकर संपर्क स्थापित करते हुए काम को आगे बढ़ाते हैं

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की चयन की प्रक्रिया-
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के चयन की प्रक्रिया को पूरी तरीके से पारदर्शी जन उपयोगी और निष्पक्ष बनाने के लिए चयन में विधवा और त्याग करी हूई महिलाओं को सर्वोच्च वरीयता प्रदान की जाती है तथा अभ्यर्थियों को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार का होना अनिवार्य कर दिया गया है इस प्रक्रिया से जहां एक ओर विधवा एवं परित्याग करी हूई महिलाओं को समाज में सम्मान एवं सम्मानजनक स्थान दिलाने तथा उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया वहीं गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पदों पर चयन का अवसर दिया गया।




आंगनवाड़ी कार्यकत्री के कार्य आंगनवाड़ी का कार्य- दिन के समय में गांव के अलग-अलग घरों में जाकर वहां पर विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती माता तथा महिला को पोषाहार और स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी देती है और उन्हें केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करती हैं आंगनबाड़ी कार्यकत्री नियमित रूप से माताओं की बैठक बुलाती है जिसमें 15 से 45 वर्ष की उम्र की स्त्रियां भाग लेते हैं इस बैठक में उन्हें बच्चे और मां की देखभाल के विषय पर जानकारी दी जाती है तथा उससे संबंधित चीजें सिखाई जाती है
आंगनवाड़ी कार्यकत्री के मुख्य उत्तरदायित्व आंगनवाड़ी केंद्र से संबंधित परिवारों में 0 से 6 वर्ष तक के बच्चे गर्भवती माताएं कुपोषित बच्चे एवं किशोरी बालिकाओं की पहचान करना पूरक पोषाहार की उचित देखभाल व रखरखाव करना, गांव में महिला व मातृ समिति को गठित कर केंद्र पर समुदाय की महिलाओं एवं सहायिकाओं के सहयोग से पूरक पोषाहार पूरी तरह स्वच्छ रूप से तैयार करना और बच्चों को खिलाना एवं गर्भवती महिलाओं माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को पोषाहार वितरित करना बच्चों गर्भवती माताओं को उचित रूप से पोषाहार वितरित करना बच्चों को पोषाहार खिलाते समय स्वच्छता का ध्यान रखना हाथ बुलाना साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना प्रत्येक दिन पूरक पोषाहार के रूप में अलग-अलग प्रकार के भोजन या व्यंजन को बनाना साथ ही बच्चों के स्वाद और रुचि का ध्यान रखना जीरो से 3 वर्ष तक के बच्चों का मासिक तथा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों का त्रैमासिक वजन करना बुद्धि चार्ट के आधार पर उनकी कुपोषण स्थिति पर उनके माता-पिता से विचार विमर्श करना तथा ग्रेड के अनुसार कार्यवाही करना गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के मानक के अनुरूप दोगुना राशन देना और माता-पिता को डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह देना जिससे कुपोषित बच्चे को समय रहते पोषण दिया जा सके।

आंगनबाड़ी का संगठन
कुछ बड़ी परियोजनाओं में बाल विकास परियोजना अधिकारियों की सहायता के लिए सहायक बाल विकास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों स्वास्थ्य कर्ताओं और सुपरवाइजर की एक टोली बनाई जाती है जो निर्धारित क्षेत्र की समस्याओं के बारे में इस परियोजना क्षेत्र की समेकित बाल विकास सेवा की टोली को अपना सहयोग और समर्थन लेती हैं प्राय आंगनवाडी कार्यकत्री सबसे आगे रहने वाली कार्यकत्री होती हैं

सुपरवाइजर का कार्य-
सुपरवाइजर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के कामकाज की देखभाल करती है सुपरवाइजर पर 17 से 25 आंगनवाड़ी केंद्रों की जिम्मेदारी होती है सुपरवाइजर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मैत्रिक व्यवहार विचारक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है तथा सभी घरों में जाने तथा स्त्रियों की बैठक आदि बुलाने में उन्हें सहायता देती है साथ ही उनके काम का ओरियंटेशन भी करती है

प्रशिक्षण
आंगनवाडी कार्यकत्री प्राय आठवीं दसवीं पास होती है उन्हें 3 महीने का बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाता है समय-समय पर प्रत्यास्मरण पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं सुपरवाइजर किसी भी सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातक होती हैं उन्हें 2 महीने की अवधि का सेवा पूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है इनका प्रशिक्षण स्थान बाल विकास परियोजना अधिकारियों का जन सहयोग और बाल विकास के राष्ट्रीय संस्थान के बेंगलुरु गुवाहाटी या लखनऊ स्थिति क्षेत्रीय केंद्रों में से किसी एक में अपना कार्य प्रशिक्षण दिया जाता है

आंगनवाड़ी की उपयोगिता
गांव तथा शहरी क्षेत्र में प्रति 1000 जनसंख्या पर तथा आदिवासी क्षेत्र में प्रति 700 जनसंख्या पर एक आंगनवाड़ी बाल कल्याण केंद्र के रूप में खोला जाता है जून 1990 तक देश में 2 लाख से भी ज्यादा आंगनवाडी कार्यकत्री और उनकी इतनी ही सहायिका स्कूल पूर्व बच्चों और उनकी माताओं को स्वास्थ्य पौष्टिक आहार और शिक्षा के बारे में सेवाएं प्रदान करती रही थी इसके अंतर्गत 6 वर्ष से कम उम्र के एक करोड़ 24 लाख बच्चों और 23 .5 लाख गर्भवती स्त्रियों तथा दूध पिलाने वाली माताओं को पूरक पौष्टिक आहार दिया जाता है देश के इन आंगनवाड़ी केंद्रों में 65. 6 लाख बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जाती रही थी

आंगनवाड़ी केंद्रों की वर्तमान स्थिति
में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति वर्तमान में बहुत अच्छी नहीं है कई केंद्रों में बच्चों की देखभाल की उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है हाल ही में समाचार पत्रों में प्रकाशित आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति संबंधी सूचना पर नजर डालने से यह पता चलता है कि इनके व्यवस्थापन से लेकर इनके क्रियान्वयन तक हर स्तर पर समस्याएं विद्यमान हैं कहने का तात्पर्य है कि आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति बहुत ही चिंतनीय है आंगनवाड़ी केंद्रों की अवस्था फर्जी उपस्थिति बच्चे हो या ना हो लेकिन उपस्थिति जरूर मिलेगी पाठ पठन की उचित व्यवस्था का अभाव भोजन पकाने के लिए अपर्याप्त व्यवस्था तथा पोषाहार की उपलब्धता ना होना।

समस्याओं का समाधान कैसे -
सरकार को यह सुनिश्चित हो कि प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र के पास अपना स्वयं का भवन हो जिन केंद्रों के पास अपना स्वयं का भवन नहीं है वहां केंद्र के संचालन के लिए भवन उपलब्ध कराए जाएं बिना भवन उचित रूप से उपलब्ध हुए कार्यवाही को व्यवस्थित ना किया जाए । बड़ी संख्या में अभिभावक इस योजना से अनजान है योजना की जानकारी ना होने पर इसकी महत्ता को नहीं समझते अतः अभिभावकों तक इस योजना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाए और उन्हें अपने बच्चों को केंद्र पर भेजने के लिए प्रेरित किया जाए। कार्यकर्ताओं को समय-समय पर पुनः प्रशिक्षण प्रदान कर उनमें अपने काम के प्रति निष्ठा संवेदनशीलता और जागरूकता लानी चाहिए । समय पर बजट मुहैया ना होने के कारण भी इन केंद्रों की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल पाती इन केंद्रों की आय का कोई अन्य स्त्रोत ना होने के कारण इन्हें समय पर बजट उपलब्ध कराया जाना चाहिए केंद्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए व्यापक प्रयास किए जाने चाहिए क्योंकि इन केंद्रों की व्यवस्था संबंधी कई समस्याएं प्रचार से जुड़ी है।

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