Monday 10 August 2020

वनस्थली विद्यापीठ/vansthali vidya peeth( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 वनस्थली विद्यापीठ


वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना 6 अक्टूबर 1935 को हीरा लाल शास्त्री वह उनकी धर्मपत्नी रत्न शास्त्री द्वारा किया गया वनस्थली विद्यापीठ स्त्री शिक्षा पर एक अद्वितीय प्रयोग है इस संस्थान में प्राथमिक स्तर से लेकर पीएचडी स्तर तक की शिक्षा दी जाती है यह संस्थान महिलाओं के कल्याण व उत्थान के लिए ऐसा वातावरण प्रदान करता है जिससे उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना बन सके।

वनस्थली  विद्यापीठ की विशेषताएं
1. पंचमुखी शिक्षा कार्यक्रम या पाठ्यक्रम- वनस्थली विद्यापीठ आध्यात्मिक मूल्य व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के एकीकरण पर बल देता है इस संस्थान की समस्त क्रियाएं संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास पर बल देते हैं जिसके कारण इसे पंचमुखी शिक्षा कहा जाता है शिक्षा के 5 पक्षों पर बल देता 1-शारीरिक। 2- सौंदर्यात्मक 3-क्रियात्मक 4- नैतिक 5- बौद्धिक
1. शारीरिक-क्रियाएं जैसे पर एक घुड़सवारी शूटिंग उड़ान योग करना तथा अन्य परंपरागत और आधुनिक खेल जैसे खूब-खूब बास्केटबॉल कबड्डी बैडमिंटन आदि शारीरिक में आते हैं
2. सौंदर्यात्मक- इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक छात्राओं के संगीत और पेंटिंग की शिक्षा दी जाती है साथ ही नृत्य शिक्षा सभी स्तर के छात्रों को दी जाती है
3. क्रियात्मक - क्रियात्मक शिक्षा के अंतर्गत प्रिंटिंग टेलरिंग क्राफ्टिंग बंधेज आदि आते हैं घरेलू शिक्षा के अंतर्गत छात्रों को बुलाई सफाई व श्रम दान करना सिखाया
4. नैतिक- इस शिक्षा के अंतर्गत सभी धर्मों के प्रति आदर की भावना को विकसित करना जिसके लिए साप्ताहिक प्रार्थना,गीत,वेद,रामायण आदि का पाठ कराया जाता है
5. बौद्धिक शिक्षा- बौद्धिक विकास के लिए छात्रों को प्रारंभ से ही विज्ञान के साथ प्रकृति व सामाजिक विज्ञान भाषा व गणित पढ़ाई जाती है


2 वनस्थली विद्यापीठ के लक्ष्य
• चारित्रिक विकास बालिकाओं का चारित्रिक विकास करने के लिए सार्वजनिक जीवन व्यतीत करने की प्रवृत्ति भारतीय आदर्शों का अनुपालन करना निडरता और वीरता और साहस की प्रवृत्ति को उत्पन्न करना इस विद्यापीठ का मुख्य लक्ष्य
• स्वावलंबन की भावना का विकास करना विद्यापीठ में सामुदायिक विकास योजना द्वारा छात्राओं को सहयोग सहकारिता और स्वावलंबन के गुण अर्जित करने का अवसर दिया जाता
• सर्वोतमुखी विकास गृह प्रबंधन गृह व्यवस्था का कार्य गृह शिल्प ललित कलाओं और उद्योगों का शिक्षण शारीरिक व्यायाम की शिक्षा देने की व्यवस्था
• मर्यादा निमित्त स्त्री स्वतंत्र की भावना का विकास विद्यापीठ में भारतीय स्त्री मर्यादा को प्रमुख स्थान दिया गया है और पाश्चात्य संस्कृति के आधार पर उपयुक्त मर्यादा में रहते हुए जीवन व्यतीत करने का अवसर दिया जाता है विद्यापीठ का लक्ष्य है कि भारतीय नारी निडर पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर काम करने वाली हूं पढ़ता भी हूं परंतु भारतीय स्त्री मर्यादाओं से अनुबंध

3. विद्यापीठ की समय सारणी-
विद्यापीठ में प्रत्येक छात्रा न्यूनतम 8 घंटे शैक्षिक एवं व्यवहारिक कार्य करती हैं कार्यों का विभाजन इस प्रकार है 4 घंटे बौद्ध शिक्षा 2 घंटे प्रयोग एक व व्यावहारिक शिक्षा एक घंटा शारीरिक शिक्षा एक घंटा कला साहित्य व नैतिक शिक्षा

4. परीक्षा पद्धति एवं मूल्यांकन व्यवस्था मूल्यांकन में दैनिक कार्यों को अधिक महत्व दिया जाता है अधिकांशत व्यावहारिक परीक्षाओं पर बल दिया जाता है

5. अतिरिक्त कार्य योजनाएं -
• बाल मेला
• पर्व एवं त्योहारो को मनाना
• विविध विषय आत्मक परिषद एवं गोष्ठियों
• सरस्वती यात्राएं
• सामूहिक गान
• समाज संपर्क व समाज सेवा
• विविध कलात्मक प्रतियोगिता
• छात्र संसद और वाद-विवाद
6.विद्यापीठ के शिक्षा विभाग-
• प्रारंभिक एवं संस्कृत विभाग इसमें जूनियर हाई स्कूल कक्षा 8 तक की शिक्षा दी जाती है 5 वर्षीय प्राथमिक शिक्षा और 3 वर्षीय निम्न माध्यमिक शिक्षा दी जाती
• माध्यमिक शिक्षा विभाग इसके अंतर्गत कक्षा 8 के बाद छात्राएं हाई स्कूल 2 वर्षीय पाठ्यक्रम में अथवा हायर सेकेंडरी 3 वर्षीय पाठ्यक्रम में जा सकती
• स्नातक तथा उत्तर स्नातक शिक्षा विभाग हाई स्कूल उत्तरण करके इंटर तत्पश्चात विभिन्न विषयों में बीए बीएससी करके में एमएससी करते हैं
• बहुत देर से माध्यमिक शिक्षा विभाग में नवी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के बहुद्देशीय रुचिकर विषयों में शिक्षा दी जाती है बाद में 3 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम होता
इस प्रकार वनस्थली विद्यापीठ अपनी पंचमुखी शिक्षा के द्वारा छात्राओं को आत्मविश्वास ही स्वावलंबी चरित्रवान निडर बनाने वाला एक अद्वितीय संस्थान है

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