Tuesday 8 September 2020

शिक्षा में रंगमंच( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 रंगमंच थिएटर





रंगमंच ललित कला है जो सजीव व काल्पनिक घटनाओं को अनुभवों को दर्शाता इसे दर्शाने के लिए कलाकार इस्तेमाल करते हैं जो जीवन दर्शकों के सामने एक विशेष प्रकार के स्थान यानी कि मंच पर रहते हैं कलाकार अपने अनुभवों को शारीरिक मुद्राओं भाषण संगीत गीत और नृत्य के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाते हैं


शिक्षा में रंगमंच

Education in theatre:TIE
रंगमंच एक ऐसा मंच है जो नई नई रणनीतियां और नए नए उद्देश तय करते हुए आगे बढ़ रहा है जिसमें रंगमंच का इस्तेमाल एक शैक्षिक हथियार के रूप में किया जा सके कहने का तात्पर्य यह है कि ये ऐसे अंतः क्रियात्मक रंगमंच ई आधार है जिससे विद्यार्थी को शिक्षण प्रक्रिया में सहायता मिल सके।
शिक्षा में रंगमंच की शुरुआत ब्रायन वे(BRIAN WAY) के रंगमंच केंद्र से 1953 में शुरू हुआ था जो बाद में गार्डन वैलेंस के साथ मिलकर शिक्षा में रंगमंच की शुरुआत किया जैसे ब्रेल ग्रेड थिएटर कॉन्वेंट री की स्थापना 1965 में हुई ।
सही रूप में कहा जाए तो शिक्षा में रंगमंच की शुरुआत 1965 में ब्रिटेन में हुई जिसमें मोनिका प्रेंडरगास्ट तथा जूलियाना सेक्सटन का मुख्य रूप से योगदान रहा।
इसमें बाल केंद्रित विश्व को निश्चित करते हुए जान पहचान के लोगों को दर्शक बना कर जिनकी संख्या कम है साथ ही विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों तथा विद्यालय संसाधनों से सहायता मिलती हैं

शिक्षा में रंगमंच के मुख्य तत्व व विशेषताएं
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मंचन छोटे छोटे हो तथा अभिनय करता कई तरह के अभिनय को करने में सक्षम हो ।पूरे रंगमंच की प्रक्रिया के दौरान स्पष्ट शैक्षिक उद्देश्य चलना चाहिए। कम खर्च का कार्यक्रम बनाना चाहिए जिससे छात्र ही संगीत के यंत्र बजा सकें। इसके लिए कई दर्शनीय बिंदु बनाए जाने चाहिए जिससे बहुत से लोग इसे देख सकें । कार्यक्रम बहुत बोझयुक्त नहीं होना चाहिए अर्थात बहुत ही सरल और प्रस्तुतीकरण का होना चाहिए । इस कार्यक्रम में दर्शकों की अहम भूमिका होनी चाहिए यह प्रकृति जने होना चाहिए। अभिनय करने वाले का मुखौटा एवं पहनावा सरल होना चाहिए क्योंकि अभिनय कर्ताओं को कई तरह के अभिनय करने होते हैं। इसमें मजबूत नेतृत्व संदेश पूरे कार्यक्रम तक होना चाहिए।

शिक्षा में रंगमंच की आवश्यकता
परंपरागत रूप से सीखने पढ़ने को शिक्षण प्रक्रिया का अंग माना जाता है किंतु इससे विद्यार्थियों की सृजनशीलता का विकास नहीं हो पाता इस अक्षता को देखते हुए अपने प्रदर्शन पर क योगदान से जब उनकी सृजनशीलता तथा सीखने और विकास करने में सुधार आया तो रंगमंच की विधि को आधार मिला और इसे अपनाया जाने लगा।

शिक्षा में थिएटर का उपयोग कैसे करें
इसमें किसी एक निश्चित क्षेत्र तथा निश्चित उम्र सीमा के लोगों को लक्ष्य कर कार्यक्रम को बनाते हैं इसके संगठन में एक सार्थक अर्थ होना चाहिए युवा दर्शकों को देखते हुए उसी प्रकार की क्रिया परक क्रिया विधि का उपयोग करके परंपरागत कहानी का रूप देना चाहिए बीच में जोड़ने वाली कहानियों की सहायता में बच्चों को कार्यक्रम में शामिल होने में शामिल करना चाहिए

विद्यार्थियों का योगदान

बौद्धिक परिपक्वता का विकास करने की समझ पात्र को स्वीकार करना समय प्रबंध का पालन करना सीखना भाषण बाधा दूर करना समूह में कार्य करना सीखना प्रदर्शन को गुणवत्तापूर्ण बनाना तथा दबाव पूर्ण माहौल में कार्य करना

रंगमंच से बच्चों को होने वाले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ -
दर्शकों के सामने प्रदर्शन करने से बालकों में आत्मविश्वास बढ़ता है उससे उन्हें अपने आप पर भरोसा बढ़ता है कल्पना शक्ति का विकास होता है दूसरों के प्रति उदारता का भाव का विकास होता है ध्यान कार्य को करने में उचित क्रम संचार का को उचित शैली का विकास शाब्दिक एवं भाव परख भावात्मक परिपक्वता भाव को मजबूत करता है

निष्कर्ष -
शिक्षा में रंगमंच एक तरह से प्रशिक्षित व्यवसायिक सदस्यों का समय होता है जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों हो सकते हैं इनके द्वारा उचित बातों को आधार बनाकर विद्यालय और हराया अन्य कई जगहों पर नीचे छोटे-छोटे दर्शकों के समक्ष अपने को प्रस्तुत करते हैं तथा इनका उद्देश्य शिक्षक होता है।

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