Tuesday 11 August 2020

शांतिनिकेतन/shanti niketan.( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 शन्ति निकेतन  टिप्पणि

भारत के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित शांति निकेतन। इसकी स्थापना कोलकाता के निकट बोलपुर नाम के गांव में महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर ने सन 1863 में शांति निकेतन के रूप में की थी जहां पर वे साधना किया करते थे।

सन 1901 में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने इसी स्थान पर बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयोगात्मक विद्यालय की स्थापना की जो ब्रह्म विद्यालय तथा बाद में शांतिनिकेतन और 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रतिष्ठित हुआ गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी ने गुरदास बनर्जी और रासबिहारी बोस के सहयोग से बंगाल में राष्ट्रीय शिक्षा प्रसार समिति की स्थापना की थी (सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ नेशनल एजुकेशन) इस योजना के तहत उन्होंने 51 हाई स्कूलों की स्थापना की थी यहां पर उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार व्यावहारिक प्रयोग करना शुरू किया जहां छात्रों को प्राकृतिक वातावरण में रहने और पढ़ने की व्यवस्था की थी इसकी दूसरी संस्था 1922 में श्रीनिकेतन के नाम से सुरुल गांव में स्थापित की । उच्च शिक्षा के रूप में विश्व भारती की स्थापना किया जिसका आदर्श वाक्य था "सारा विश्व एक घर है "और तभी से यह संस्था अंतरराष्ट्रीय संस्था हो गई
1951 में भारत सरकार ने एक अधिनियम द्वारा इस संस्था को केंद्रीय विश्वविद्यालय की मान्यता देकर इसे अपने अधीन कर अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया । इसका कुलपति अब भारत का प्रधानमंत्री होता है। टैगोर जी अपनी शिक्षा प्रक्रिया से छात्रों को संगीत अभिनय और चित्रकला में दक्ष बनाना चाहते थे।

शान्ती निकेतन के उद्देश्य
1. विभिन्न दृष्टिकोण से सत्य के विभिन्न पहलुओं की प्राप्ति हेतु मानव मस्तिष्क का अध्ययन
2. भारतीय संस्कृति एवं आदर्शों पर आधारित शिक्षा की व्यवस्था करना
3. विश्व बंधुत्व की भावना को विकसित करके विश्व शांति के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न करना
4. प्राचीन संस्कृति से घनिष्ठ संबंध स्थापित करना और पाश्चात्य संस्कृति से समन्वय करना
5. विश्व भारती को सांस्कृतिक विश्व का केंद्र बना कर धर्म साहित्य इतिहास सभ्यता भारतीय एवं पाश्चात्य सभ्यता के अध्ययन हेतु अवसर उपलब्ध कराना

विश्व भारती के विभाग

1. पाठ भवन
प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था के लिए

2. शिक्षा भवन
उच्चतर माध्यमिक विभाग इंटरमीडिएट आर्ट और विज्ञान की शिक्षा प्रबंध के लिए

3. श्रीनिकेतन
ग्रामीणों के बौद्धिक आर्थिक सामाजिक आध्यात्मिक उन्नति हेतु शिक्षा

4. हिंदी भवन
हिंदी तथा तिब्बती भाषा के शिक्षण व शोध के लिए

5. संगीत भवन
नृत्य संगीत अभिनय संबंधित शिक्षा

6.चीन भवन
चीनी और भारतीय संस्कृति के अध्ययन हेतु विभाग

7.शिल्प भवन
कुटीर उद्योग विभाग

8.कलाभवन
ललित कराओ संबंधी शिक्षा

9.विद्या भवन
स्नातक परास्नातक तथा पीएचडी की शिक्षा व्यवस्था

10.विनय भवन
शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए

शांतिनिकेतन की विशेषताएं
यहां भारत के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं यह देश के सभी भागों के श्रेष्ठ शिक्षक को के द्वारा शिक्षण प्रदान करता है यहां पर छात्र किसी एक विभाग में प्रवेश लेने के उपरांत अन्य किसी भी विभाग में बिना किसी अतिरिक्त शुल्क दिए शिक्षा ग्रहण कर सकता है यहां पर नियमित और आकस्मिक दोनों प्रकार के छात्र प्रवेश पा सकते हैं यहां गुरु शिष्य संबंध मधुर और परस्पर प्रेम स्नेह और सम्मान की भावना पर स्थित है यहां का पाठ्यक्रम अत्यंत व्यापक है छात्रों पर विषय चयन का कोई दबाव नहीं होता भी अपनी रुचि से विषय चयन कर सकते हैं यहां की कक्षाएं प्राकृतिक परिवेश में वृक्षों के नीचे अथवा खुले मैदान में होती है यहां सामुदायिक जीवन और समाज सेवा पर विशेष बल दिया जाता है यहां पर विश्वविद्यालय का स्वयं का डेरी फार्म अस्पताल और कारखाने हैं यहां का पुस्तकालय बहुत ही बड़ा और असंख्य पुस्तकों से भरा हुआ है विश्वविद्यालय का अपना एक प्रकाशन है यहां से विश्व भारती नाम की एक पत्रिका प्रकाशित होती है इसमें छात्रों के लिए अपना न्यायालय भी है जो दंड की व्यवस्था करता है परंतु यहां शारीरिक दंड का कोई प्रावधान नहीं है

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