Thursday 27 August 2020

भारत में UNICEF की शैक्षिक भूमिका (शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 भारत में UNICEF की शैक्षिक भुमिका 

UNICEF संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा है जिसका मुख्यालय जेनेवा में स्थापित है यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड को यूनिसेफ कहते हैं यूनिसेफ का उद्देश्य धरती पर पैदा होने वाले सभी बच्चों के हित को ध्यान में रखना है किंतु इस संस्था का मुख्य लक्ष्य वे अविकसित देश है जहां पर बच्चे कुपोषण, रोग, अशिक्षा एवं गरीबी के शिकार हैं ऐसे देश में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यूनिसेफ योजना बनाता है और उनके लिए पोषण युक्त आहार दवाईयां तथा शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है

भारत में यूनिसेफ की शैक्षिक भूमिका

सन 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब संपूर्ण देश निरक्षरता और अंधविश्वास के अंधकार में डूबा हुआ था ऐसी स्थिति में यूनिटेक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था का आगमन हुआ जो अंधकार में रोशनी की तरह था 1950 में जब हमारे देश का संविधान लागू हुआ तब उसमें यह संकल्पना व्यक्त की गई थी कि देश के संपूर्ण बच्चों को जो 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के हैं उन्हें 10 वर्ष के अंदर अर्थात 1960 तक प्राथमिक शिक्षा के माध्यम से साक्षर बना दिया जाएगा और जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं उन्हें पुराण शिक्षा के अंतर्गत साक्षर बनाया जाएगा किंतु ऐसा नहीं हो सकता सन 2011 की जनगणना के अनुसार अभी भी 25% लोग भी रक्षक
यूनिसेफ की रणनीति तीन बिंदुओं पर आधारित है सभी बच्चों का प्रवेश
सभी बच्चों को गुण परक शिक्षा की उपलब्धता
सभी को समान शिक्षा का अवसर एवंसमानता
यूनिसेफ द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों के लिए किया गया।

यूनिसेफ ने भारत के कई राज्य में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा हेतु कार्य किया है जिनमें से कुछ राज्यों का विवरण इस प्रकार है 

कर्नाटक

सन 1995 में यूनिसेफ की सहायता से संपूर्ण कर्नाटक राज्य में प्राथमिक स्तर पर एक शैक्षिक रणनीति बनाई गई जिसका नामकरण कली कली रखा गया इस रणनीति के अंतर्गत शिक्षकों को इस उद्देश से प्रशिक्षित किया गया विद्यालय जाने वाले बच्चों को विद्यालय में बनाए रखें विद्यालय नहीं आ रहे हैं उन्हें विद्यालय के लिए प्रेरित करें तत्पश्चात का प्रयोग अन्य जिलों में हुआ इस योजना का परिणाम प्राप्त हुआ वह अत्यंत उत्साहवर्धक था

राजस्थान
राजस्थान राज्य सरकार के साथ मिलकर सन 2000 में एक योजना का प्रारंभ किया गया जिसके अंतर्गत राज्य के सभी विद्यालयों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था शौचालय साफ सफाई की व्यवस्था की गई बच्चों को भी इस संदर्भ में शिक्षित किया गया कि किस तरह पैदल को सुरक्षित रखें गंदे जल को बाहर निकालने विद्यालय में कूड़ा फेंकने के लिए कूड़ेदान का प्रयोग करें। UNICEF के सहयोग से 5 . 75 लाख शिक्षकों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया गया।

उत्तर प्रदेश

1999 में राज्य सरकार के साथ मिलकर बाराबंकी की 4 लाखों में बालिका शिक्षा योजना का प्रारंभ किया गया इन ब्लॉकों में बालिकाओं की साक्षरता का 15% जो अत्यंत सोचनीय था यूनिसेफ ने जिन गांव में प्राथमिक विद्यालय नहीं थे वहां वैकल्पिक शिक्षा केंद्र की स्थापना की सन 1999 में केवल 50 वैकल्पिक शिक्षा केंद्रों से कार्य प्रारंभ किया गया था जो 2001 में बढ़कर 140 हो गया जो बालिकाएं आयु अधिक हो जाने के कारण विद्यालय नहीं जा सकते थे उनके लिए यूनिसेफ में 1 वर्षीय आवासी कैंट का आयोजन किया जो बहुत सफल रहा इस सफलता से उत्साहित होकर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत समाहित कर दिया।

बिहार
बिहार के प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में यूनिसेफ की महत्वपूर्ण भूमिका है आठ करोड़ की जनसंख्या में अधिक से अधिक व्यक्ति निरक्षर हैं जिनमें महिलाओं की संख्या केवल 34% है सीतामढ़ी जिला है जहां पूरे जिले में स्थित है योजना के अंतर्गत गांव को सम्मिलित किया और राज्य सरकार की सहायता से बच्चों को शिक्षित करने की योजना और उन्होंने एक नया आत्मविश्वास पैदा हुआ
उपरोक्त राज्यों के अतिरिक्त यूनिसेफ जिन राज्यों में इस तरह का कार्य चला रहा है उनमें बिहार,झारखंड पश्चिम बंगाल ,मध्य प्रदेश ,गुजरात ,छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,महाराष्ट्र, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश ,लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार दीप समूह के कुछ भाग।

निष्कर्ष-
संक्षेप में शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए भारत जैसे देश के अधिकांश राज्यों में यूनिटेक कार्य कर रहा है शिक्षा के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है जन्म से लेकर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों की देखरेख पालन-पोषण चिकित्सा शिक्षा आदि का उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता के साथ वाहन कर रहा है सामाजिक रूप से पिछड़े एवं गरीब दलित आदिवासी पिछड़े हुए बालिकाओं की शिक्षा में महान योगदान यूनिसेफ बाल कल्याण एवं विकास पर समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है ।

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