Friday 28 August 2020

सर्व शिक्षा अभियान शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां

 


सर्व शिक्षा अभियान 

एसएससी की योजना 2001 में शुरू की गई थी सर्व शिक्षा अभियान प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक योजना है सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य शिक्षा को समान रूप से सभी तक पहुंचाना लैंगिक एवं सामाजिक अंतरों को हटाना और बच्चों के अध्ययन स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि करना है एक राष्ट्रीय योजना के रूप में यह देश के सभी जिलों में लागू की जा रही है 

वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान पूरे देश में संचालित है इसके अंतर्गत प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय आते हैं इस योजना से कुल 1200000 से अधिक व्यक्तियों के लगभग 20 करोड़ बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं

सर्वशिक्षा अभियान के उद्देश्य

• 6 से 14 वर्ष सभी बच्चों को उपयोगी तथा सार्थक प्रारंभिक शिक्षा यानी की कक्षा 1 से 8 तक की व्यवस्था।
• समुदाय की सक्रिय सहभागिता से सामाजिक क्षेत्र तथा लैंगिक असमानता को समाप्त।
• गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा की उपलब्धता तथा जीवन के लिए शिक्षा पर जोर देना।
• सार्वभौमिक ठहराव सुनिश्चित करना
• संतोषप्रद गुणवत्ता वाली प्रारंभिक शिक्षा
सर्व शिक्षा अभियान को प्रदेश में लागू किया जाएगा इसमें बालिकाओं अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों तथा दुष्कर परिस्थितियों में रह रहे छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

सर्व शिक्षा अभियान के कार्य
• उन स्थानों पर नए विद्यालयों की स्थापना करना
• जहां विद्यालयों की सुविधा उपलब्ध नहीं है साथ ही विद्यमान विद्यालयों की आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करना
• जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है वहां अध्यापक उपलब्ध कराना
• शिक्षण अधिगम सामग्री के निर्माण हेतु अनुदान देना बालिका शिक्षा तथा कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना
• कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करना
• सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना

सर्व शिक्षा अभियान की विशेषताएं 

• बालिकाओं पर विशेषता अनुसूचित जाति जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाओं पर ध्यान देना
• विद्यालय छोड़कर जा चुकी बालिकाओं को वापस लाने हेतु अभियान चलाना
• लड़कियों के लिए निशुल्क पाठ्य पुस्तकें बालिकाओं हेतु विशेष प्रशिक्षण कोचिंग सेंटर तैयारी कक्षाओं का आयोजन और सीखने के लिए उत्तम वातावरण बनाना
• शिक्षा के समान अवसरों को बढ़ावा देने हेतु शिक्षक जागरूकता कार्यक्रम
• बालिका शिक्षा से संबंधित प्रयोगात्मक परियोजनाओं पर विशेष ध्यान देना
• 50% महिला शिक्षकों की नियुक्ति
सर्व शिक्षा अभियान का गठन
प्रधानमंत्री सर्व शिक्षा अभियान के राष्ट्रीय मिशन के अध्यक्ष हैं तथा मानव संसाधन विकास मंत्री उपाध्यक्ष जो कि देश में सर्व शिक्षा अभियान के विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की देखरेख करते हैं इस समय राज्य स्तर पर मिशन के प्रमुख संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं जो कि कार्यक्रम को आगे बढ़ाने तथा उनका अनवीक्षण करने का कार्य करते हैं

उपलब्धियां

यह कार्यक्रम पूरे देश में लागू किया जाएगा तथा इसमें बालिकाओं अनुसूचित जाति जनजाति के छात्रों तथा दुष्कर परिस्थितियों में रह रहे छात्रों की सबसे कम आ सकता हूं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा इस कार्यक्रम के अंतर्गत आबादी क्षेत्रों में अब तक स्कूल नहीं है वहां नए स्कूल खोलने तथा अतिरिक्त कक्षाओं में तुम्हें कमरे शौचालय पेयजल रखरखाव एवं स्कूल सुधार अनुदान के माध्यम से में स्कूल खोलने और पोस्ट करना शामिल है सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत से अब तक लाखों की संख्या में स्कूल व मैं शिक्षक और नए कमरे मुहैया कराए जा चुके हैं सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है स्कूलों में छोटे और दूरदराज के विभागों में खोले गए स्कूलों में कामकाजी बच्चों परिवारों के साथ दूसरी जगहों से आए बच्चे और शहरी वंचित बच्चों की शिक्षा मुहैया कराई जाती है एसएससी में बालिकाओं एवं समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों पर विशेष ध्यान देने का प्रावधान है इसके तहत ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था सहित कई अन्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं शिक्षा के अंतर को समाप्त करने के लिए ऐसे के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर शिक्षा दिलाने का भी प्रावधान है

Thursday 27 August 2020

भारत में UNICEF की शैक्षिक भूमिका (शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 भारत में UNICEF की शैक्षिक भुमिका 

UNICEF संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा है जिसका मुख्यालय जेनेवा में स्थापित है यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड को यूनिसेफ कहते हैं यूनिसेफ का उद्देश्य धरती पर पैदा होने वाले सभी बच्चों के हित को ध्यान में रखना है किंतु इस संस्था का मुख्य लक्ष्य वे अविकसित देश है जहां पर बच्चे कुपोषण, रोग, अशिक्षा एवं गरीबी के शिकार हैं ऐसे देश में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यूनिसेफ योजना बनाता है और उनके लिए पोषण युक्त आहार दवाईयां तथा शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है

भारत में यूनिसेफ की शैक्षिक भूमिका

सन 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब संपूर्ण देश निरक्षरता और अंधविश्वास के अंधकार में डूबा हुआ था ऐसी स्थिति में यूनिटेक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था का आगमन हुआ जो अंधकार में रोशनी की तरह था 1950 में जब हमारे देश का संविधान लागू हुआ तब उसमें यह संकल्पना व्यक्त की गई थी कि देश के संपूर्ण बच्चों को जो 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के हैं उन्हें 10 वर्ष के अंदर अर्थात 1960 तक प्राथमिक शिक्षा के माध्यम से साक्षर बना दिया जाएगा और जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं उन्हें पुराण शिक्षा के अंतर्गत साक्षर बनाया जाएगा किंतु ऐसा नहीं हो सकता सन 2011 की जनगणना के अनुसार अभी भी 25% लोग भी रक्षक
यूनिसेफ की रणनीति तीन बिंदुओं पर आधारित है सभी बच्चों का प्रवेश
सभी बच्चों को गुण परक शिक्षा की उपलब्धता
सभी को समान शिक्षा का अवसर एवंसमानता
यूनिसेफ द्वारा भारत के विभिन्न राज्यों के लिए किया गया।

यूनिसेफ ने भारत के कई राज्य में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा हेतु कार्य किया है जिनमें से कुछ राज्यों का विवरण इस प्रकार है 

कर्नाटक

सन 1995 में यूनिसेफ की सहायता से संपूर्ण कर्नाटक राज्य में प्राथमिक स्तर पर एक शैक्षिक रणनीति बनाई गई जिसका नामकरण कली कली रखा गया इस रणनीति के अंतर्गत शिक्षकों को इस उद्देश से प्रशिक्षित किया गया विद्यालय जाने वाले बच्चों को विद्यालय में बनाए रखें विद्यालय नहीं आ रहे हैं उन्हें विद्यालय के लिए प्रेरित करें तत्पश्चात का प्रयोग अन्य जिलों में हुआ इस योजना का परिणाम प्राप्त हुआ वह अत्यंत उत्साहवर्धक था

राजस्थान
राजस्थान राज्य सरकार के साथ मिलकर सन 2000 में एक योजना का प्रारंभ किया गया जिसके अंतर्गत राज्य के सभी विद्यालयों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था शौचालय साफ सफाई की व्यवस्था की गई बच्चों को भी इस संदर्भ में शिक्षित किया गया कि किस तरह पैदल को सुरक्षित रखें गंदे जल को बाहर निकालने विद्यालय में कूड़ा फेंकने के लिए कूड़ेदान का प्रयोग करें। UNICEF के सहयोग से 5 . 75 लाख शिक्षकों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया गया।

उत्तर प्रदेश

1999 में राज्य सरकार के साथ मिलकर बाराबंकी की 4 लाखों में बालिका शिक्षा योजना का प्रारंभ किया गया इन ब्लॉकों में बालिकाओं की साक्षरता का 15% जो अत्यंत सोचनीय था यूनिसेफ ने जिन गांव में प्राथमिक विद्यालय नहीं थे वहां वैकल्पिक शिक्षा केंद्र की स्थापना की सन 1999 में केवल 50 वैकल्पिक शिक्षा केंद्रों से कार्य प्रारंभ किया गया था जो 2001 में बढ़कर 140 हो गया जो बालिकाएं आयु अधिक हो जाने के कारण विद्यालय नहीं जा सकते थे उनके लिए यूनिसेफ में 1 वर्षीय आवासी कैंट का आयोजन किया जो बहुत सफल रहा इस सफलता से उत्साहित होकर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत समाहित कर दिया।

बिहार
बिहार के प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में यूनिसेफ की महत्वपूर्ण भूमिका है आठ करोड़ की जनसंख्या में अधिक से अधिक व्यक्ति निरक्षर हैं जिनमें महिलाओं की संख्या केवल 34% है सीतामढ़ी जिला है जहां पूरे जिले में स्थित है योजना के अंतर्गत गांव को सम्मिलित किया और राज्य सरकार की सहायता से बच्चों को शिक्षित करने की योजना और उन्होंने एक नया आत्मविश्वास पैदा हुआ
उपरोक्त राज्यों के अतिरिक्त यूनिसेफ जिन राज्यों में इस तरह का कार्य चला रहा है उनमें बिहार,झारखंड पश्चिम बंगाल ,मध्य प्रदेश ,गुजरात ,छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,महाराष्ट्र, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश ,लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार दीप समूह के कुछ भाग।

निष्कर्ष-
संक्षेप में शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए भारत जैसे देश के अधिकांश राज्यों में यूनिटेक कार्य कर रहा है शिक्षा के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है जन्म से लेकर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों की देखरेख पालन-पोषण चिकित्सा शिक्षा आदि का उत्तरदायित्व बड़ी कुशलता के साथ वाहन कर रहा है सामाजिक रूप से पिछड़े एवं गरीब दलित आदिवासी पिछड़े हुए बालिकाओं की शिक्षा में महान योगदान यूनिसेफ बाल कल्याण एवं विकास पर समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है ।

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Monday 24 August 2020

साक्षरता ब्रिगेड( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 साक्षरता ब्रिगेड पर एक टिप्पणी लिखें


साक्षरता ब्रिगेड का प्रारंभ 1961 में क्यूबा देश में किया गया इस वर्ष को शिक्षा वर्ष के नाम से जाना गया।

साक्षरता ब्रिगेड की अवधारणा 
साक्षरता कार्यक्रम सभी के लिए समान रूप से होना चाहिए पीना साक्षरता तकनीकी निरर्थक है साक्षरता व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है निरक्षण काका सामना अकेले नहीं दिया जा

साक्षरता ब्रिगेड के उद्देश्य-
समाज में समानता लाना शिक्षकों को पढ़ाने हेतु प्रोत्साहित करना नए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना गांव में तथा दूर दराज के क्षेत्रों में विद्यालय खोलना निरक्षर किसानों को पढ़ना वा लिखना सिखाना

साक्षरता ब्रिगेड की विशेषताए
इस क्रिकेट के द्वारा शिक्षा को प्रत्येक बालक के लिए मुक्त कर दिया गया इस ब्रिगेड के द्वारा शिक्षा महिलाओं व ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक पहुंची तथा शिक्षा में असमानता को समाप्त किया गया साक्षरता ब्रिगेड से कई प्रशिक्षित शिक्षकों को दुनिया भर में भेजा गया इस ब्रिगेड से शिक्षा पर अधिक पर किया जाने लगा इस ब्रिगेड का प्रयोग अन्य देशों जैसे अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी किया गया इस प्रकार से साक्षरता ब्रिगेड ने अनेक देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया

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Tuesday 11 August 2020

शांतिनिकेतन/shanti niketan.( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 शन्ति निकेतन  टिप्पणि

भारत के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित शांति निकेतन। इसकी स्थापना कोलकाता के निकट बोलपुर नाम के गांव में महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर ने सन 1863 में शांति निकेतन के रूप में की थी जहां पर वे साधना किया करते थे।

सन 1901 में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने इसी स्थान पर बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयोगात्मक विद्यालय की स्थापना की जो ब्रह्म विद्यालय तथा बाद में शांतिनिकेतन और 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के नाम से प्रतिष्ठित हुआ गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी ने गुरदास बनर्जी और रासबिहारी बोस के सहयोग से बंगाल में राष्ट्रीय शिक्षा प्रसार समिति की स्थापना की थी (सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ नेशनल एजुकेशन) इस योजना के तहत उन्होंने 51 हाई स्कूलों की स्थापना की थी यहां पर उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार व्यावहारिक प्रयोग करना शुरू किया जहां छात्रों को प्राकृतिक वातावरण में रहने और पढ़ने की व्यवस्था की थी इसकी दूसरी संस्था 1922 में श्रीनिकेतन के नाम से सुरुल गांव में स्थापित की । उच्च शिक्षा के रूप में विश्व भारती की स्थापना किया जिसका आदर्श वाक्य था "सारा विश्व एक घर है "और तभी से यह संस्था अंतरराष्ट्रीय संस्था हो गई
1951 में भारत सरकार ने एक अधिनियम द्वारा इस संस्था को केंद्रीय विश्वविद्यालय की मान्यता देकर इसे अपने अधीन कर अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया । इसका कुलपति अब भारत का प्रधानमंत्री होता है। टैगोर जी अपनी शिक्षा प्रक्रिया से छात्रों को संगीत अभिनय और चित्रकला में दक्ष बनाना चाहते थे।

शान्ती निकेतन के उद्देश्य
1. विभिन्न दृष्टिकोण से सत्य के विभिन्न पहलुओं की प्राप्ति हेतु मानव मस्तिष्क का अध्ययन
2. भारतीय संस्कृति एवं आदर्शों पर आधारित शिक्षा की व्यवस्था करना
3. विश्व बंधुत्व की भावना को विकसित करके विश्व शांति के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न करना
4. प्राचीन संस्कृति से घनिष्ठ संबंध स्थापित करना और पाश्चात्य संस्कृति से समन्वय करना
5. विश्व भारती को सांस्कृतिक विश्व का केंद्र बना कर धर्म साहित्य इतिहास सभ्यता भारतीय एवं पाश्चात्य सभ्यता के अध्ययन हेतु अवसर उपलब्ध कराना

विश्व भारती के विभाग

1. पाठ भवन
प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था के लिए

2. शिक्षा भवन
उच्चतर माध्यमिक विभाग इंटरमीडिएट आर्ट और विज्ञान की शिक्षा प्रबंध के लिए

3. श्रीनिकेतन
ग्रामीणों के बौद्धिक आर्थिक सामाजिक आध्यात्मिक उन्नति हेतु शिक्षा

4. हिंदी भवन
हिंदी तथा तिब्बती भाषा के शिक्षण व शोध के लिए

5. संगीत भवन
नृत्य संगीत अभिनय संबंधित शिक्षा

6.चीन भवन
चीनी और भारतीय संस्कृति के अध्ययन हेतु विभाग

7.शिल्प भवन
कुटीर उद्योग विभाग

8.कलाभवन
ललित कराओ संबंधी शिक्षा

9.विद्या भवन
स्नातक परास्नातक तथा पीएचडी की शिक्षा व्यवस्था

10.विनय भवन
शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए

शांतिनिकेतन की विशेषताएं
यहां भारत के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं यह देश के सभी भागों के श्रेष्ठ शिक्षक को के द्वारा शिक्षण प्रदान करता है यहां पर छात्र किसी एक विभाग में प्रवेश लेने के उपरांत अन्य किसी भी विभाग में बिना किसी अतिरिक्त शुल्क दिए शिक्षा ग्रहण कर सकता है यहां पर नियमित और आकस्मिक दोनों प्रकार के छात्र प्रवेश पा सकते हैं यहां गुरु शिष्य संबंध मधुर और परस्पर प्रेम स्नेह और सम्मान की भावना पर स्थित है यहां का पाठ्यक्रम अत्यंत व्यापक है छात्रों पर विषय चयन का कोई दबाव नहीं होता भी अपनी रुचि से विषय चयन कर सकते हैं यहां की कक्षाएं प्राकृतिक परिवेश में वृक्षों के नीचे अथवा खुले मैदान में होती है यहां सामुदायिक जीवन और समाज सेवा पर विशेष बल दिया जाता है यहां पर विश्वविद्यालय का स्वयं का डेरी फार्म अस्पताल और कारखाने हैं यहां का पुस्तकालय बहुत ही बड़ा और असंख्य पुस्तकों से भरा हुआ है विश्वविद्यालय का अपना एक प्रकाशन है यहां से विश्व भारती नाम की एक पत्रिका प्रकाशित होती है इसमें छात्रों के लिए अपना न्यायालय भी है जो दंड की व्यवस्था करता है परंतु यहां शारीरिक दंड का कोई प्रावधान नहीं है

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Monday 10 August 2020

वनस्थली विद्यापीठ/vansthali vidya peeth( शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां)

 वनस्थली विद्यापीठ


वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना 6 अक्टूबर 1935 को हीरा लाल शास्त्री वह उनकी धर्मपत्नी रत्न शास्त्री द्वारा किया गया वनस्थली विद्यापीठ स्त्री शिक्षा पर एक अद्वितीय प्रयोग है इस संस्थान में प्राथमिक स्तर से लेकर पीएचडी स्तर तक की शिक्षा दी जाती है यह संस्थान महिलाओं के कल्याण व उत्थान के लिए ऐसा वातावरण प्रदान करता है जिससे उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना बन सके।

वनस्थली  विद्यापीठ की विशेषताएं
1. पंचमुखी शिक्षा कार्यक्रम या पाठ्यक्रम- वनस्थली विद्यापीठ आध्यात्मिक मूल्य व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के एकीकरण पर बल देता है इस संस्थान की समस्त क्रियाएं संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास पर बल देते हैं जिसके कारण इसे पंचमुखी शिक्षा कहा जाता है शिक्षा के 5 पक्षों पर बल देता 1-शारीरिक। 2- सौंदर्यात्मक 3-क्रियात्मक 4- नैतिक 5- बौद्धिक
1. शारीरिक-क्रियाएं जैसे पर एक घुड़सवारी शूटिंग उड़ान योग करना तथा अन्य परंपरागत और आधुनिक खेल जैसे खूब-खूब बास्केटबॉल कबड्डी बैडमिंटन आदि शारीरिक में आते हैं
2. सौंदर्यात्मक- इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक छात्राओं के संगीत और पेंटिंग की शिक्षा दी जाती है साथ ही नृत्य शिक्षा सभी स्तर के छात्रों को दी जाती है
3. क्रियात्मक - क्रियात्मक शिक्षा के अंतर्गत प्रिंटिंग टेलरिंग क्राफ्टिंग बंधेज आदि आते हैं घरेलू शिक्षा के अंतर्गत छात्रों को बुलाई सफाई व श्रम दान करना सिखाया
4. नैतिक- इस शिक्षा के अंतर्गत सभी धर्मों के प्रति आदर की भावना को विकसित करना जिसके लिए साप्ताहिक प्रार्थना,गीत,वेद,रामायण आदि का पाठ कराया जाता है
5. बौद्धिक शिक्षा- बौद्धिक विकास के लिए छात्रों को प्रारंभ से ही विज्ञान के साथ प्रकृति व सामाजिक विज्ञान भाषा व गणित पढ़ाई जाती है


2 वनस्थली विद्यापीठ के लक्ष्य
• चारित्रिक विकास बालिकाओं का चारित्रिक विकास करने के लिए सार्वजनिक जीवन व्यतीत करने की प्रवृत्ति भारतीय आदर्शों का अनुपालन करना निडरता और वीरता और साहस की प्रवृत्ति को उत्पन्न करना इस विद्यापीठ का मुख्य लक्ष्य
• स्वावलंबन की भावना का विकास करना विद्यापीठ में सामुदायिक विकास योजना द्वारा छात्राओं को सहयोग सहकारिता और स्वावलंबन के गुण अर्जित करने का अवसर दिया जाता
• सर्वोतमुखी विकास गृह प्रबंधन गृह व्यवस्था का कार्य गृह शिल्प ललित कलाओं और उद्योगों का शिक्षण शारीरिक व्यायाम की शिक्षा देने की व्यवस्था
• मर्यादा निमित्त स्त्री स्वतंत्र की भावना का विकास विद्यापीठ में भारतीय स्त्री मर्यादा को प्रमुख स्थान दिया गया है और पाश्चात्य संस्कृति के आधार पर उपयुक्त मर्यादा में रहते हुए जीवन व्यतीत करने का अवसर दिया जाता है विद्यापीठ का लक्ष्य है कि भारतीय नारी निडर पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर काम करने वाली हूं पढ़ता भी हूं परंतु भारतीय स्त्री मर्यादाओं से अनुबंध

3. विद्यापीठ की समय सारणी-
विद्यापीठ में प्रत्येक छात्रा न्यूनतम 8 घंटे शैक्षिक एवं व्यवहारिक कार्य करती हैं कार्यों का विभाजन इस प्रकार है 4 घंटे बौद्ध शिक्षा 2 घंटे प्रयोग एक व व्यावहारिक शिक्षा एक घंटा शारीरिक शिक्षा एक घंटा कला साहित्य व नैतिक शिक्षा

4. परीक्षा पद्धति एवं मूल्यांकन व्यवस्था मूल्यांकन में दैनिक कार्यों को अधिक महत्व दिया जाता है अधिकांशत व्यावहारिक परीक्षाओं पर बल दिया जाता है

5. अतिरिक्त कार्य योजनाएं -
• बाल मेला
• पर्व एवं त्योहारो को मनाना
• विविध विषय आत्मक परिषद एवं गोष्ठियों
• सरस्वती यात्राएं
• सामूहिक गान
• समाज संपर्क व समाज सेवा
• विविध कलात्मक प्रतियोगिता
• छात्र संसद और वाद-विवाद
6.विद्यापीठ के शिक्षा विभाग-
• प्रारंभिक एवं संस्कृत विभाग इसमें जूनियर हाई स्कूल कक्षा 8 तक की शिक्षा दी जाती है 5 वर्षीय प्राथमिक शिक्षा और 3 वर्षीय निम्न माध्यमिक शिक्षा दी जाती
• माध्यमिक शिक्षा विभाग इसके अंतर्गत कक्षा 8 के बाद छात्राएं हाई स्कूल 2 वर्षीय पाठ्यक्रम में अथवा हायर सेकेंडरी 3 वर्षीय पाठ्यक्रम में जा सकती
• स्नातक तथा उत्तर स्नातक शिक्षा विभाग हाई स्कूल उत्तरण करके इंटर तत्पश्चात विभिन्न विषयों में बीए बीएससी करके में एमएससी करते हैं
• बहुत देर से माध्यमिक शिक्षा विभाग में नवी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के बहुद्देशीय रुचिकर विषयों में शिक्षा दी जाती है बाद में 3 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम होता
इस प्रकार वनस्थली विद्यापीठ अपनी पंचमुखी शिक्षा के द्वारा छात्राओं को आत्मविश्वास ही स्वावलंबी चरित्रवान निडर बनाने वाला एक अद्वितीय संस्थान है

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