Friday 25 September 2020

Environment laws and regulations in India / पर्यावरण शिक्षा असाइनमेंट

Environment laws and regulations in India ASSIGNMENT 


 Environmental law and regulation in India

भारत में पर्यावरण संरक्षण का इतिहास बहुत पुराना है हड़प्पा संस्कृति पर्यावरण से ओतप्रोत थी तो वैदिक संस्कृति पर्यावरण संरक्षण हेतु पर्याय बनी रहे।
भारतीय संस्कृति में जल को भी देवता माना गया था केला, पीपल, तुलसी ,बरगद ,आम आदमी पेड़ पौधों की पूजा की जाती है अंग्रेजों ने भारत में अपने आर्थिक लाभ के कारण पर्यावरण नष्ट करने का कार्य प्रारंभ किया।
विनाशकारी दोहन नीति के कारण परिस्थितिकी असंतुलन भारतीय पर्यावरण में ब्रिटिश काल में ही दिखने लगा था

स्वतंत्र भारत में पर्यावरण नीतियां तथा कानून

भारतीय संविधान जिसे 1950 में लागू किया गया था परंतु सीधे तौर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रावधानों से नहीं जुड़ा था सन 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत सरकार का ध्यान पर्यावरण संरक्षण कीओर खींचा । सरकार ने 1976 में संविधान में संशोधन कर दो महत्वपूर्ण अनुच्छेद 48a तथा 51a जोड़े । अनुच्छेद 48a राज्य सरकार को निर्देश देता है "कि वह पर्यावरण की सुरक्षा और उसमें सुधार सुनिश्चित करें तथा देश के वनों तथा वन्य जीवो की रक्षा करें।" अनुच्छेद 51 नागरिकों के कर्तव्य प्रदान करता है 'कि प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें तथा उस का संवर्धन करें और सभी जीवधारियों के प्रति दयालु रहे।" स्वतंत्रता के पश्चात बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण की गुणवत्ता में निरंतर कमी आती गई। पर्यावरण की गुणवत्ता की इस समय में प्रभावी नियंत्रण व प्रदूषण के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने समय-समय पर अनेक कानून और नियम बनाएं इसमें अधिकांश का मुख्य आधार प्रदूषण नियंत्रण व निवारण था ।

पर्यावरणीय कानून व नियम

भारत सरकार ने समय-समय पर विभिन्न अध्यादेश व कानूनों का निर्माण कर पर्यावरण संतुलन की दिशा में प्रभावी कदम उठाए हैं वन एवं वन्य जीव मृदा भूमि जल तथा वायु संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक किए गए प्रयास निश्चित है
• जल प्रदूषण संबंधी कानून 
  • रिवर बोर्ड एक्ट 1956 
  • जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 
  • जल उपकर अधिनियम 1986, 
  • वायु प्रदूषण संबंधी कानून 
  • फैक्ट्रीज एक्ट 1948 
  • इन्फ्लेमेबल्स सब स्टोरेज एक्ट 1951
  •  पर्यावरण अधिनियम 1986
  •  भूमि प्रदूषण संबंधी कानून 
  • इंडस्ट्रीज अधिनियम 1968 
  • अर्बन लैंड एक्ट 1976 
  • वन तथा अन्य संबंधी कानून
  •  फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1960 
  • वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्सन एक्ट 1972 
  • नई पर्यावरण नीति को लागू करना 
  • प्रदूषण निवारण मंडलों की स्थापना 
  • जैव विविधता अधिनियम 2002
  • वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1995 
  • फॉरेस्ट एक्ट 1980


जल प्रदूषण अधिनियम 1974 तथा 1977 

निरंतर बढ़ते जल प्रदूषण के प्रति सरकार का ध्यान 1960 के दशक में गया और वर्ष 1963 में गठित समिति ने जल प्रदूषण निवारण नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय कानून बनाएं जो जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 में और प्रदूषण फैलाने वाले कचरे को नदियों और प्रवाह में फेंकने पर रोक लगाने की व्याख्या करते हैं बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अधिकार देते हैं कि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करें । जल कर अधिनियम 1977 में या प्रावधान भी है कि कुछ उद्योगों द्वारा उपयोग किए गए जल पर कर देय  होगा। इन संसाधनों का उपयोग जल प्रदूषण को रोकने के लिए किया जाता है।

वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 

वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 वायु प्रदूषण  रोकने का एक महत्वपूर्ण कानून है जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड न केवल औद्योगिक  इकाइयों की  निगरानी  की शक्ति देता है, बल्कि प्रदूषित इकाइयों को बंद करने का भी अधिकार प्रदान करता है।


वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 को अधिक व्यावहारिक व प्रभावी बनाने के लिए इसमें वर्ष 1986 तथा 1991 में संशोधन किया गया वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए वन्य जीव संरक्षण निदेशक तथा दिल्ली मुंबई कोलकाता चेन्नई मी 4 उप निर्देशकों की व्यवस्था की गई।


वन संरक्षण अधिनियम, 1980 

भारत सरकार ने वनों के संरक्षण तथा वनों के विकास के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 पारित किया इस अधिनियम का मुख्य उद्देश वनों का विनाश और वन भूमि को गैर वानिकी कार्यों में उपयोग से रोकना था। इस अधिनियम के प्रभावी होने के पश्चात कोई भी वन भूमि के लिए सरकार की अनुमति के बिना गैर वन भूमि या किसी भी अन्य कार्य के लिए प्रयोग में नहीं लाई जा सकती तथा ना ही अनारक्षित की जा सकती है वनों को काटने हेतु मार्गदर्शिका  तैयार की गई है जिसमें वनों को कम से कम नुकसान हो।



राष्ट्रीय जल नीति 2002 

21वीं सदी में जल के महत्व को स्वीकारते हुए जल संसाधनों की नियोजन, विकास और प्रबंधन के साथ ही इसके सदुपयोग का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद ने 1 अप्रैल 2002 को राष्ट्रीय जल नीति पारित की



राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2004

 पर्यावरण तथा वन मंत्रालय ने दिसंबर 2004 में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2004 का ड्राफ्ट जारी किया। इसकी प्रस्तावना यह है कि समस्याओं को देखते हुए एक व्यापक पर्यावरण नीति की आवश्यकता है साथ ही वर्तमान पर्यावरण नियमों को वर्तमान समस्या के संदर्भ में संशोधन की आवश्यकता को भी दर्शाया गया है।



जैव विविधता संरक्षण अधिनियम 2002 

भारत विश्व में जैव विविधता के स्तर पर बार में स्थान पर आता है । वर्ष 2002 में पारित इस कानून का उद्देश्य है- जैविक विविधता की रक्षा की व्यवस्था की जाए राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता बोर्ड स्थापित करने तथा स्थानीय स्ततरोस्तरों  पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों की स्थापना करने का प्रावधान  है ताकि इस कानून के प्रावधानों को ठीक प्रकार से लागू किया जा सके।


निष्कर्ष

भारत संसार के उन देशों में से एक है जिनके संविधान में पर्यावरण का विशेष उल्लेख है भारत में पर्यावरण कानूनों का व्यापक निर्माण किया है तथा हमारी नीतियां पर्यावरण संरक्षण में भारत की पहल दर्शाती है पर्यावरण संबंधी सभी विधयक होने पर भी भारत में पर्यावरण की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है नदियां तथा झीलें औद्योगिक कचरे से भरी हुई है। वन क्षेत्र में कटाव लगातार बढ़ता जा रहा है ।भारत में इस दिशा में पर्यावरण नीति को गंभीरता से लागू करने की आवश्यकता है पर्यावरण को सुरक्षित करने के प्रयासों में आम जनता को भागीदारी भी सुनिश्चित करने की जरूरत है

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