Sunday 30 May 2021

विशिष्ट शिक्षा

 विशिष्ट शिक्षा 


विशिष्ट शिक्षा का अर्थ
विशिष्ट शिक्षा से अभिप्राय शिक्षा से है जो विशिष्ट बालकों को दी जाती है वह शिक्षा जो प्रतिभाशाली व पिछड़े बालकों को दी जाती है विशिष्ट बालकों को सामान्य बालकों से भिन्न शैक्षिक मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति तथा महत्व

विशिष्ट शिक्षा विशेष बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में सहायता करती है चाहे वह बच्चा प्रतिभाशाली हो या पिछड़ा हो विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों के समाज के साथ समायोजन में सहायता करती है विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों को पहचानने व निदान करने में सहायक होती है विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति विकासात्मक होती है और बालक को आत्मनिर्भर बनाती है साथ ही आत्मविश्वास का संचार भी करती है विशिष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षा सामग्री और विशेष पाठ्यक्रम विशेष प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों की जरूरत होती है। विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से पिछड़े हुए बच्चों को उनके स्तर के अनुसार व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। विशिष्ट शिक्षा बालकों की क्षमताओं योग्यताओं रुचियों व अभिरुचियों  को ध्यान में रखकर दी जाती है।
विशिष्ट शिक्षा सार्वभौमिक होती है यह प्रकृति की शिक्षाएं यह शिक्षा सभी प्रकार के विशिष्ट बच्चों को दी जाती है चाहे वह किसी भी धर्म जाति लिंग रूप व आकार के अनुसार भिन्न हो। प्रत्येक नागरिक को सामान्य शिक्षा लेने का अधिकार है अतः विशिष्ट बालकों को विशिष्ट शिक्षा का अधिकार है विशिष्ट शिक्षा लोगों का विशिष्ट बालकों के प्रति दृष्टिकोण बदलती है।

विशिष्ट शिक्षा की विशेषताएं

• विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति उपचारात्मक होती है।
• विशिष्ट शिक्षा की पहुंच दूर-दूर तक है।
• विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बालक को एक विश्वसनीय वातावरण देती है जो कि उसकी विशेषता को समायोजित करने में सहायता प्रदान करता है विशिष्ट शिक्षक किसी एक की विशेषता पर केंद्रित होती है अतः कहने का तात्पर्य किसी एक की आवश्यकताओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर उसे पूरा करती है।
• विशिष्ट शिक्षा शोध उन्मुख है क्योंकि विशिष्ट शिक्षा इस मान्यता पर काम करती है कि शोध नई दिशाएं देता है और नए तथ्य प्रस्तुत करता है जिससे कि विकास कार्य हेतु और भी अधिक सहायता मिलती है विशिष्ट शिक्षा विकास Van मुखी भी है इसमें विशिष्ट बालकों के विकास से संबंधित जितनी भी विषय हैं उन सभी को अपनाया जाता है।
• विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बालकों की शिक्षा हेतु नवीनीकरण को प्रोत्साहित करती हैं विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से विशिष्ट बालकों को स्वस्थ व अनुकूलित वातावरण प्रदान किया जाता है।
• तकनीकी उपयुक्त विधियां शिक्षण सामग्री के मेलजोल से कक्षा गत परिस्थितियों के अंतर्गत अधिगम हेतु सुगम वातावरण तैयार किया जा सकता है विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से शिक्षक अपने आप को कक्षा गत परिस्थितियों के लिए मानसिक व मनोवैज्ञानिक तरीके से तैयार कर लेता है।
• विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से शिक्षक विद्यालय प्रशासन एवं विद्यालय के वातावरण में कार्य कर रहे अन्य व्यक्ति कक्षा व विद्यालय की असामान्य परिस्थितियों के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाते हैं।
• विशिष्ट शिक्षा माता-पिता व अभिभावकों को भी विशिष्ट बालक के विषय में जानने व उसकी शिक्षा हेतु तैयार करने में सहायता प्रदान करती है।
• विशिष्ट शिक्षा दोनों ही तरह के बालक चाहे वह अपनी विशिष्टता के क्षेत्र में प्रगति कर रहा हूं या किसी कमी की वजह से पीछे जा रहा हूं दोनों के लिए कार्य करती है।
• विशिष्ट शिक्षा अपने क्षेत्र के अंतर्गत सभी प्रकार की विशिष्टता को सम्मिलित किए हुए हैं।
• विशिष्ट शिक्षा किसी भी बालक की शिक्षा में कोई अवरोध इस कारण उत्पन्न नहीं करती कि कोई बालक धर्म जाति भाषा संस्कृति के आधार पर अलग है तो उससे विशिष्ट शिक्षा का भाग नहीं बनाया जा सकता बल्कि विशिष्ट शिक्षा तो सभी के विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के भरसक प्रयासों में सदा ही कार्यरत रहती हैं।

विशिष्ट शिक्षा के उद्देश्य
विशिष्ट बच्चों की विशेष आवश्यकताओं की पूर्व पहचान तथा निर्धारण करना विशिष्ट शिक्षा का उद्देश्य है शारीरिक दोष की दशा में इससे पहले कि वे गंभीर स्थिति को प्राप्त हो उनकी रोकथाम के लिए उपाय करना विशिष्ट शिक्षा का उद्देश्य है। विशिष्ट बच्चों को इस प्रकार शिक्षित करना ताकि वह अपने आपको समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। शारीरिक रूप से बाधित बालकों का पुनर्वासन करना। विशिष्ट शिक्षा का उद्देश्य विशिष्ट बच्चों के प्रति माता-पिता व समाज के लोगों की सोच व दृष्टिकोण को बदलना शारीरिक रूप से बाधित बालकों की शिक्षण समस्याओं की जानकारी देना तथा सुधार हेतु सामूहिक संगठन तैयार करना यह शिक्षा विशिष्ट बच्चों को प्रेरणा प्रदान करती है ताकि वह भी अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकें विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों के माता-पिता को निपुणता तथा कार्य कुशलता के बारे में समझाना तथा बालक की समस्याओं की रोकथाम के उपाय करना है। शिक्षा की राष्ट्रीय नीति नेशनल पॉलिसी ओं एजुकेशन 1986 में स्वयं एवं जीवन यापन क्रमबद्ध का से निर्धारण करना। विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से बालकों में यह इच्छा पैदा करना कि वे सामान्य बच्चों के सामान गतिविधियों में भाग ले सकते हैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 1992 ने स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए कहा है कि उद्देश्य निम्न प्रकार होना चाहिए विशिष्ट शिक्षा का मुख्य उद्देश्य शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को सामान्य वर्ग के बच्चों के साथ एकीकृत करना उनका सामान्य विकास के लिए तैयार करना उनको इस योग्य बनाना कि वे जीवन की समस्याओं का साहस व आत्मविश्वास से सामना कर सकें।

विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता

इस बात से तो सभी सहमत ही होंगे कि विशिष्ट शिक्षा ने विशिष्ट बालकों के उत्थान हेतु बहुत बड़े और महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
अगर विशिष्ट शिक्षा का प्रत्येक विकसित नहीं हुआ होता तो आज भी विशिष्ट आवश्यकता वाले बालकों का विकास अधर में लटका हुआ रहता कितने ही विशिष्ट शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक हैं उनका योगदान अत्यधिक सराहनीय है। विशिष्ट शिक्षा के माध्यम से ही समाज के लोगों के मन में विशिष्ट आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए सहानुभूति एवं सकारात्मक सोच विकसित हुई। विशिष्ट शिक्षा का इतिहास गवाह है कि समाज के बदलते स्वरुप के साथ यह कभी भी इतना आसान नहीं था कि विशिष्ट बालक अपनी जगह बना पाए शुरुआती दिनों में तो निर योगिता या विकलांगता से प्रभावित व्यक्तियों को लोगों ने जान से तक मार डाला पूर्ण विराम सिया पता चलता है कि मानवीय ताकि सारी सीमा पार हो गई थी इस समय काफी ही कहा जा सकता है इस समय में इतना बदला आ गया कि आज वर्तमान परिपेक्ष में लोग विकलांगता को अभिशाप ना मानकर मनुष्यों की अपनी ही विशेषता मानते हैं जिसके चलते बिल्कुल भी जरुरी नहीं है कि ऐसे मनुष्य को जो कि सामान मनुष्य से भिन्न है वह तरक्की नहीं कर सकते।

विशिष्ट शिक्षा का क्षेत्र

अंतरात्मा का विकास
जब किसी भी बालक में किसी प्रकार की विकलांगता होती है तो पराया वह बालक आपने हीनता का शिकार हो जाता है तथा वह सामान बालको से बिछड़ जाता है यदि हम उस की क्षमता उसकी शक्ति रुचि तथा अभिरुचि के अनुसार शिक्षा प्रदान करते हैं तो उसमें आत्मसम्मान या अंतरात्मा का विकास की भावना जागृत हो जाती है तथा वही सामान्य वालों को की तरह राष्ट्र हित में में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं अतः यह आवश्यक है कि विशिष्ट बालक को के लिए विशिष्ट शिक्षा का प्रबंध किया जाए जिसे अंतरात्मा का विकास हो सके ।
एक समान शैक्षिक अवसर

यदि हम सामान्य बालकों की तरह विशिष्ट बालकों को भी समान शिक्षा के अवसर प्रदान करेंगे तो उनमें भी कुछ कर गुजरने की भावना का विकास होगा तथा वह भी समाज तथा देश के लिए कुछ कर गुजर ना चाहेंगे की इसलिए यह जरूरी है कि विशिष्ट बालकों को भी सामान शैक्षिक अवसर प्रदान किए जाएं।
जीवन में समानता
विशिष्ट बालकों को अपने आप को घर विद्यालय तथा समाज में स्थापित करने के लिए कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है अगर उनकी क्षमता योग्यता और अभिरुचि का पूर्ण विकास नहीं होता है तो वे और भी पिछड़ जाते हैं सामान्य बालकों के समकक्ष लाने के लिए उनको शिक्षा ग्रहण करने के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि वह भी अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सके और देश की उन्नति में अपना योगदान दे सकें।
कल्याणकारी राज्य
भारत एक लोकतांत्रिक तथा विकासशील देश है सभी देश कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना चाहते हैं। कल्याणकारी राज्य में सभी नागरिक सुख समृद्धि और आनंद का जीवन व्यतीत करते हैं अतः यह आवश्यक हो जाता है कि विशिष्ट बालक भी इस प्रकार का जीवन यापन कर सकें। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाएं उनको शिक्षा ग्रहण करने के अधिक अवसर प्रदान किए जाएं ताकि वे भी अच्छा स्वास्थ्य व सुखी जीवन व्यतीत कर सकें हमें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनको सुविधा प्रदान करनी चाहिए ताकि कल्याणकारी राज्य का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।

विशिष्ट शिक्षा से जुड़े हुए विशेषज्ञों एवं शिक्षकों के पालन करने हेतु कुछ आवश्यक बिन्दु

विशिष्ट शिक्षा यह विशेषता से संबंध रखने वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक है कि वह विशिष्ट बैंकों के विकास की क्षमताओं को विकसित करने हेतु विद्यालय व समुदाय के स्तर पर उनकी सहभागिता को प्रोत्साहित करें। विशिष्ट शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ विशिष्ट शिक्षकों व अन्य विशिष्ट शिक्षा से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वह अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित रहे तथा विशिष्ट व्यक्तियों के संदर्भ में कोई भी निर्णय लेने से पूर्व किसी भी प्रकार का वर्गीकरण करने से पूर्व निष्पक्षता दिखाएं। विशिष्ट शिक्षा से संबंध रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक है कि वह विशिष्ट बालकों के विकास को उच्चतम स्तर तक ले जाएं वह उन्हें उनकी संस्कृति भाषा जाति से जुड़े रखते हुए उनके अधिगम की बंधी हुई सीमाओं से उन्हें ऊपर ले जाएं।
किसी भी विधि व तकनीक को प्रयोग में लाने से पहले या आवश्यक बनता है कि अन्य शोध निष्कर्षों तथा अन्य प्रमाण व व्यवसाई ज्ञान की सहायता लें यह आवश्यक है कि विशिष्ट शिक्षा से संबंध रखने वाले प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्तियों को अपने ही व्यवसाय क्षेत्र से जुड़े अन्य विशेषज्ञों या संबंध रखने वाले व्यक्तियों के साथ अच्छा तालमेल बैठा लेना चाहिए ताकि किसी भी कार्य या निर्णय को समझदारी से लिया जा सके विशेषज्ञ एवं विशिष्टता से संबंधित व्यक्तियों के लिए भी या अनिवार्य है कि विशिष्ट बालकों के परिवारों से संपर्क बनाए वह विशिष्ट बालकों के क्षेत्र में कोई भी निर्णय लेने से पहले उनके परिवारी जनों व शुभचिंतकों से भी सुझाव प्राप्त करें।
व्यवसायिक से संबंधित व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करें व कड़ाई से व्यवसाय से जुड़े सिद्धांतों का पालन करें विशिष्ट शिक्षा से जुड़े क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सुधार करने के लिए व्यवसाई को के लिए आवश्यक है कि इस क्षेत्र से संबंधित घटनाओं व संघों में अपने आप को प्रत्यक्ष रूप से शामिल करें वह इस क्षेत्र से जुड़े कौशल व ज्ञान का प्रचार प्रसार करें।

विशिष्ट शिक्षा एवं समावेशी शिक्षा में अंतर
विशिष्ट शिक्षा
• विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट व सामान्य बालकों को अलग-अलग शिक्षा प्रदान करती है।
• विशिष्ट शिक्षा भेदभाव के सिद्धांत पर आधारित है।
• विशिष्ट शिक्षा अधिक महंगी व खर्चीली शिक्षा है।
• विशिष्ट शिक्षा शिक्षा प्रदान करने का एक पुराना विचार है।
• विशिष्ट शिक्षा कुछ-कुछ चिकित्सा का रूप रखती है।

समावेशी शिक्षा
• समावेशी शिक्षा प्रतिभाशाली व सामान्य बालकों को एक साथ पूर्ण समय में शिक्षा प्रदान करती हैं।
• समावेशी शिक्षा समानता के आधार पर है।
• समावेशी शिक्षा नए एवं पुराने विचारों दोनों के रूप में हैं।
• समावेशी शिक्षा कम खर्चीली होती है।
•  समावेशी शिक्षा वैज्ञानिक आधार पर है।

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