Friday 28 May 2021

मिड डे मील योजना (मध्यान्ह भोजन योजना)

 मिड डे मील योजना (मध्यान्ह भोजन योजना)

भारत में प्राथमिक शिक्षा की उत्तम व्यवस्था हेतु भारत के स्वतंत्रता उपरांत ही बहुत सी नीतियां बनाई गई क्योंकि हमारा उद्देश्य निश्चित आयु वर्ग के सभी बालकों के लिए प्राथमिक शिक्षा निशुल्क व अनिवार्य के लक्ष्य को पाना था। प्राथमिक शिक्षा के प्रसार तथा उन्नयन के लिए सुझाव देने के संबंध में 1975 में सरकार ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षा परिषद का गठन किया इस परिषद ने प्राथमिक शिक्षा के प्रसार व उनके संबंध में ठोस सुझाव दिए जिससे प्राथमिक शिक्षा के प्रसार में तेजी आई 1966 में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग ने अपना प्रतिवेदन सरकार के समक्ष पेश किया इस आयोग ने बिना किसी भेदभाव के हर धर्म जाति वर्ग के छात्रों के लिए शैक्षिक अवसर की समानता पर बल दिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 घोषित हुई इसमें भी प्राथमिक शिक्षा के निशुल्क व अनिवार्य करने के संबंध में ठोस नीतियां दी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 नई शिक्षा नीति में शिक्षा का सार्वभौमीकरण करना प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किया गया ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड योजना का प्रारंभ किया गया 1990 में विश्व कॉन्फ्रेंस में सबके लिए शिक्षा की घोषणा की गई जिसमें सभी देशों में प्राथमिक शिक्षा के प्रसार में तेजी आई जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया 1994 में 15 अगस्त 1995 को सरकार ने छात्रों को स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिए मिड डे मील योजना शुरू की जिसे पौष्टिक आहार सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी कहा जाता है।
इस कार्यक्रम में 100 ग्राम गेहूं चावल प्रति छात्र प्रति स्कूल दिवस के अनुरूप कैलोरी युक्त पूरा पके हुए भोजन का प्रावधान रखा गया सितंबर 2004 में कुछ विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इस कार्यक्रम में संशोधन किया गया जून 2006 में इस योजना में पुनः संशोधन किया गया इस योजना के मुख्य बिंदु निम्न प्रकार हैं
• इस योजना के अनुसार कक्षा 1 से लेकर 5 तक के सभी बच्चों के लिए मध्यान पोषाहार उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है
• इस भोजन की पौष्टिकता 300 कैलोरी और प्रोटीन की क्षमता 8 से 12 ग्राम होनी चाहिए स्कूल प्रत्येक बच्चे को 100 ग्राम गेहूं या चावल के हिसाब से खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति की जाती है यह पूर्ति पास के एफसीआई गोदाम से की जाती है
• इस योजना से प्राथमिक विद्यालय के 5 पॉइंट 5000000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।
• सरकार द्वारा घोषित सूखा प्रभावित राज्यों में गर्मियों की छुट्टियों में पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने में आर्थिक सहायता दी जाती है।
• भोजन पकाने की व्यवस्था के लिए ₹6000 प्रति विद्यालय को आर्थिक सहायता भी दी जा रही है इसके अतिरिक्त खाद्यान्न को गोदाम से स्कूल तक लाने के लिए भी आर्थिक सहायता दी जा रही है।
• इस कार्यक्रम के अंतर्गत आंध्र प्रदेश उड़ीसा तमिलनाडु छत्तीसगढ़ झारखंड तथा पांडिचेरी में अनाज के साथ फल अंडे इत्यादि भी दिए जाते हैं कर्नाटक गुजरात छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बच्चों को दवाइयां भी वितरित की जाती हैं।
• यह योजना विकेंद्रित रूप से ग्राम पंचायतों ग्रामीण शिक्षा समितियों तथा अभिभावक शिक्षक संघ आदि स्थानीय एजेंसियों की सहभागिता से लागू किया जा रहा है इस कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए केंद्र राज्य जनपद ब्लॉक तथा पंचायत स्तर पर व्यवस्था की गई है।
मिड डे मील योजना की आवश्यकता एवं महत्व

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास अर्थात शारीरिक एवं मानसिक विकास करना है जिसकी पूर्ति के लिए विद्यालय में मध्यान भोजन व्यवस्था को एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है मध्यान भोजन का तात्पर्य दोपहर के भोजन से है इसका प्रचलन विशिष्ट रूप से बड़े-बड़े नगरों में आसानी से देखा जा सकता है वहां बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था दोपहर में ना करके मध्यान्ह अर्थात 10 10:30 की जाती है जिससे बालक अपनी खोई हुई शक्ति की पूर्ति तथा थकान दूर करते हैं अतः विद्यालय में मध्यान भोजन की आवश्यकता एवं महत्व को निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

• पौष्टिक एवं संतुलित भोजन की प्राप्ति
• अस्वास्थ्य था एवं बीमारियों से बचाना।
• भोजन संबंधी उपयुक्त आदतों का निर्माण करना।
• समय धन एवं शक्ति की बचत करना।
• सामाजिक जीवन के लिए शिक्षा।

मिड डे मील योजना के उद्देश्य
• प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि करना।
• सरकारी सहायता प्राप्त एवं स्थानीय निकाय विद्यालयों और ईजीएस तथा एआई केंद्रों में कक्षा एक से पांच तक बालकों के पोषण आहार की स्थिति में सुधार करना तथा कुपोषण से बचाना।
• प्राथमिक स्तर पर अबे को रोककर बालकों को प्राथमिक स्कूलों में रोके रखना।
• निर्धन एवं वंचित वर्गों के बालकों को कक्षा में नियमित उपस्थिति कक्षा की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने तथा विद्यालय में टिके रहने के लिए प्रेरित करना।
• छात्रों की नियमित उपस्थिति में वृद्धि करना।
• छात्रों को पौष्टिक भोजन के द्वारा स्वास्थ्य लाभ देना।
• बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करने से भ्रातृत्व का भाव उत्पन्न करना जाति भेद खत्म करना ।

मिड डे मील योजना केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारें 75 :25 के अनुपात में वह करती हैं सरकार भोजन के लिए खाद्य सामग्री गेहूं चावल व अन्य पदार्थ उपलब्ध कराती है भोजन कराने के लिए 25 बालों को पर एक रसोईया तथा एक सहायक 25 से अधिक बालकों पर दो रसोईया तथा दो सहायकों की व्यवस्था है जो भोजन पकाने का

मिड डे मील योजना का क्षेत्र
प्रारंभ में यह योजना केवल सरकारी प्राथमिक स्कूलों में लागू की गई। 1997- 98 तक इसे देश के सभी प्रांतों के स्कूलों में लागू किया जा चुका था। 2002 में इस योजना में मुस्लिमों द्वारा चलाए जा रहे मदरसों को भी शामिल कर लिया गया। 2007 में उच्च प्राथमिक स्कूलों को भी इस योजना का लाभ मिलना शुरू हो गया। वर्तमान में कुछ सरकारी आर्थिक सहायता मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को इस योजना में भी शामिल कर लिया गया है 2014-15 में यह योजना लगभग 11.50 लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में चल रही थी इसे 10.50 करोड़ बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।

मिड डे मील की आवश्यकता
विश्व खाद्य कार्यक्रम डब्ल्यूएफपी वर्तमान में कुपोषण और खाद्य सुरक्षा के स्तर को सुधारने के लिए खाद्य आधारित सुरक्षा तंत्र को सशक्त करने में सहयोग करता है भारत में इसके सहयोग में मिड डे मील कार्यक्रम चलाया जिसकी आवश्यकता को निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं।
फोर्टिफिकेशन
फोर्टिफिकेशन एक प्रयास और प्रशिक्षण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्व को जोड़ा जाता है। चावल और गेहूं की फसल फोटोफ़ाई  लोहे और विटामिन ए के साथ सफलतापूर्वक सफल हुआ है पकाया हुआ भोजन को भी प्रीमिक्स सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ मजबूत किया जा सकता है। एक उचित लागत मूल्य पर सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। डब्ल्यू एसपी उड़ीसा की सरकार के साथ मिलकर एक जिले में एमडीएम चावल में लौह तत्व का चालन किया 1 साल के भीतर एनीमिया के मामलों में 5% की गिरावट आ गई
एकीकृत सुरक्षित तथा स्वच्छ आदतें
एमडीएम में सुरक्षित और स्वच्छ आदतों को एक ही कृत करना सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह खाद्य आपूर्ति श्रंखला के द्वारा तैयारी एवं उपभोग के समय निर्धारित किया जा सकता है और भंडारण सुविधाओं में स्वच्छता होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त हाथ धोने के तथा वस्तुओं को साफ करने के लिए सतत जलापूर्ति एवं के साथ उपयुक्त किट रसोइए के लिए दस्ताने और कैप्स सुरक्षित खाद्य अपशिष्ट निपटाने की आवश्यकता। प्रत्येक विद्यालय में शौचालय बनाने के लिए सरकार की ओर से पहल की आवश्यकता है।
विद्यालय प्रबंधन में सुधार
विद्यालय प्रबंधन में रसोई कर्मचारी तथा छात्र स्वयं योजना के अनावश्यक सहयोग के लिए प्रबंधन करता है। रसोई में कार्य करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होना आवश्यक है तथा उन्हें अच्छी स्वास्थ्य आदतों को अपनाना चाहिए जैसे खाना बनाने से पहले हाथ धोना आदि। स्वच्छ भारत स्वच्छ भारत स्वच्छ खाना पकाना तथा स्वच्छ रसोई तीन महत्वपूर्ण संदेश है जो विद्यालय प्रबंधन में सम्मिलित होने चाहिए।
पोषण को सफलतापूर्वक सुधारने के लिए खाद्य स्वास्थ्य स्वच्छ पेयजल के साथ किया जा सकता है। एमडीएम भारत के पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए सहयोग करते हैं। लेकिन इसमें स्वच्छता और पोषण संबंधी मूल्य के बारे में कुछ खामियां हैं जिनको दूर करने की आवश्यकता है।
मिड डे मील योजना की कार्यप्रणाली
इस योजना को राज्य सरकार की सर्व शिक्षा अभियान समिति के द्वारा संचालित कराया जाता है यह समितियां अपने अपने क्षेत्र में इस योजना का संचालन तथा निगरानी करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में ही भोजन तैयार कराया जाता है। शहरी क्षेत्रों में ठेकेदारों के द्वारा भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सरकारी दावे के अनुसार कक्षा एक से पांच तक प्रत्येक बच्चे को प्रतिदिन 100 ग्राम अनाज दाल सब्जी दिया जा रहा है और कक्षा 6 से 8 तक प्रत्येक छात्र को प्रतिदिन 150 ग्राम अनाज दाल सब्जी आदित्य जा रहा है।
शैक्षिक परिणामों पर मध्यान भोजन का प्रभाव
• भारत सरकार ने 1995 में राष्ट्रीय स्कूल भोजन कार्यक्रम मिड डे मील स्कीम का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य सरकारी एवं सरकारी अनुदानित विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 के बच्चों को पोषण में सुधार करना है पूर्ण ब्रह्म विद्यालय उपस्थिति और स्कूल में बच्चों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भी डिजाइन किया गया है एमडीएम का उद्देश्य प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को सारे 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध कराना है इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में लो और फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व को भी प्रदान करना है पूर्व किसी भी कार्यक्रम का प्रभाव का आकलन करने के लिए एक पूर्व और पोस्ट आदर्श डिजाइन होता है जो नियंत्रण समूह के साथ हस्तक्षेप करते हैं। क्योंकि इस कार्यक्रम में आधारभूत जानकारी उपलब्ध नहीं थी इसलिए 30 स्कूलों को एक सेट नियंत्रण समूह के रूप में एमडीएम कार्यक्रम के बिना तोर अन्य सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के लिए प्रयोग किया गया दोनों स्कूलों के सेट उसी भौगोलिक क्षेत्र के थे जो अनिवार्य रूप से सामान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के थे प्रत्येक विद्यालय में nadani परीक्षा और शैक्षिक प्रदर्शन के लिए 5 लड़के तथा 5 लड़कियों का चयन प्रत्येक विद्यालय से किया गया फोन नंबर राम यदि किसी कक्षा में लड़कों या लड़कियों की संख्या 10 से कम थी तो सभी उपस्थित छात्रों को चयन में सम्मिलित किया गया इन चयनित विद्यालयों में निम्नलिखित का आकलन किया गया ।
प्रत्येक कक्षा 1 से 5 के 10 छात्र जिसमें लड़का और एक लड़की अनिवार्य को एमडीएम के अंतर्गत अब लोकगीत किया गया जब वह सप्लीमेंट का उपभोग कर रहे थे। भोजन की जितनी मात्रा प्राप्त हुई उसे परोसने के समय मापा गया इसके अतिरिक्त प्रतिदिन जिस अनुपात में राशन निकाला गया किस प्रकार भोजन बनाया गया तथा उसके भंडारण की बारीकी से अवलोकन किया गया प्रति छात्र पोषक भोजन से प्राप्त उर्जा एवं प्रोटीन की गणना की गई। पोषण संबंधी स्थिति का मूल्यांकन एमडीएम स्कूल में 1361 बच्चों और गैर एमडीएम स्कूलों में 1335 बच्चों पर किया गया था। यह बच्चे थे जिन्हें मानव निर्मित एवं नैदानिक परीक्षा के लिए चयनित किया गया था इस प्रकार मिड डे मील कार्यक्रम के प्रभावशीलता को निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं।
• नामांकन स्थिति छात्रों की कुल संख्या जो 6 वर्ष से 11 वर्ष थी स्कूल नामांकन के योग्य थे वह कुल जनसंख्या की 14% थे पूर्णब्रह्म एमडीएम कार्यक्रम के साथ स्कूलों में दाखिले की संख्या 68% तक हो गई थी
• उपस्थिति मिड डे मील के प्रभाव से छात्रों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हो गई थी।
• प्रतिधारण अंदर एमडीएम स्कूलों में कक्षा एक में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या 80 पॉइंट 2 प्रतिशत किया जो गैर एमडीएम स्कूलों से बेहतर थी इन छात्रों को अपने 4 वर्षों के लिए दाखिला एवं पदोन्नति दी गई थी पूर्व राम मिड डे मील कार्यक्रम में लड़कियों की प्रति धारणा को कम किया मिटे मिलने प्रतिधारण दर को उचित तरीके से कम किया।
• ड्रॉप्ड आउट मिड डे मील में विद्यालय में छात्रों की संख्या को बढ़ाने में सहयोग किया जो छात्र बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते थे उनके लिए यह कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र है जिससे वे विद्यालय में रुकने के लिए बाध्य हो गए
• शैक्षिक प्रदर्शन पूर्वर्ती वार्षिक परीक्षा में प्रत्येक बच्चे द्वारा प्राप्त अंक स्कूल के रिकॉर्ड से एकत्र किए गए थे जो सामान्य तौर पर विश्लेषण के उद्देश्य के लिए स्कूल में अपनाए गए ग्रेड के अनुसार वितरित किए गए थे मिड डे मील स्कूल में ग्रेड ए वाले छात्रों का अनुपात बढ़ गया इस प्रकार मिड डे मील के प्रभाव से छात्रों की स्कूल गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है कुल दाखिला दर का प्रोत्साहन मिला है शैक्षिक सुविधाओं के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं विद्यालय में बालिकाओं की संख्या में वृद्धि तथा छात्रों के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए मिड डे मील उत्तरदाई है। मिड डे मील में उपलब्ध पोषक भोजन की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा रहा है प्रत्येक राज्य के मिड डे मील मानक वहां की आवश्यकता के अनुसार ही निर्धारित किए गए हैं

मिड डे मील योजना के गुण एवं दोष

गुण
मिड डे मील योजना के मुख्य गुण इस प्रकार हैं
• इस योजना को लागू करने के बाद से प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई
• पिछड़ी जाति अनुसूचित जाति जनजाति व मुस्लिम छात्रों का नामांकन भरा है।
•  इस योजना के बाद से ही बीच में स्कूल छोड़ जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई अर्थात अपव्यय की समस्या का समाधान हुआ।
• इस योजना के कारण गरीब परिवारों के बच्चे जिन्हें पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता था उन्हें पौष्टिक आहार मिलने लगा जिससे उनका पोषण वह।
•  छात्रों के एक साथ बैठकर खाने से जातिगत भेदभाव में कमी आई है।
इस योजना को शिक्षा सत्र 2014 15 तक देश के 11.50 लाख प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में लागू किया जा चुका है और इससे 10.50 करोड़ बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।

दोष
• जो धनराशि सरकार से इस योजना के लिए स्कूलों को प्रदान की जा रही है उसका सही प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
• आए दिन समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होती रहती है कि मिड-डे-मील खाने में छात्रों की तबीयत खराब हो गई इसका प्रमुख कारण है मिड डे मील बनाते समय साफ-सफाई का ठीक से ध्यान रखना
•  इस योजना के प्रति स्कूल गंभीर नहीं है जिसे या योजना ठीक प्रकार से चल नहीं पा रही है।
• कोई भी योजना छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देती है
• इस योजना के प्रति गंभीरता ना होने से यह बालकों के लिए लाभदाई से ज्यादा कष्ट दाई सिद्ध हो रही
इस योजना में अच्छाई तो है परंतु साथ में कुछ बुराई भी है इस योजना को लागू हुए बहुत समय हो गया है परंतु इससे जो लोग लाभ होना चाहिए था वह लाभ नहीं हो रहे हैं यदि इस योजना से जुड़े व्यक्ति अपना कार्य निष्ठा व ईमानदारी से करें तो इस योजना से बहुत लाभ हो सकता है अपव्यय की समस्या का समाधान तथा सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है इस योजना में हो रही लापरवाही की जांच कर दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए तब ही यह योजना अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकेगी।

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