Monday 2 November 2020

विशिष्ट विद्यालय (special school)

 



विशिष्ट  विद्यालय 

 प्रस्तावना

परत बालक में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो जन्मजात पाए जाते हैं यह ग्रुप हराया अनुवांशिकता से संबंधित भी हो सकते हैं अथवा नहीं भी इन्हीं गुणों के आधार पर ही बालकों का शैक्षिक स्तर निर्भर करता है सामान्य वालों को का शैक्षिक स्तर उनकी बुद्धि लब्धि तथा क्षमताओं के आधार पर ही तय किया जाता है ठीक इसी प्रकार वह बालक जो कि विशिष्ट बालक होते हैं उन्हें भी शिक्षा के पूर्ण अवसर प्राप्त करने का अधिकार होता है इन बालकों को दी गई शिक्षा अलग-अलग प्रकार की होती है क्योंकि इन बालकों का शैक्षिक स्तर अलग अलग होता है समावेशी शिक्षा एक प्रणाली है शिक्षा का समावेशी करण यह बताता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र एक दिव्यांग छात्र के साथ विद्यालय में अधिकतर समय बिताता है पहले समावेशी शिक्षा की परिकल्पना सिर्फ विशेष छात्रों के लिए की गई थी लेकिन आधुनिक काल में हर शिक्षक को इस सिद्धांत को विस्तृत दृष्टिकोण में अपनी कक्षा में व्यवहार में लाना चाहिए समावेशी शिक्षा या एकीकरण के सिद्धांत की ऐतिहासिक पद्धति की जगह नई शिक्षा नीति का प्रयोग आधुनिक समय में होने लगा है समावेशी शिक्षा विशेष विद्यालय या कक्षा को स्वीकार नहीं करता अशक्त बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग करना अब मान्य नहीं है दिव्यांग बच्चों से अलग करना मन नहीं है दिव्यांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह ही शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है




विशिष्ट विद्यालय का अर्थ एवं अवधारणा

विशिष्ट शिक्षा से अभिप्राय उस शिक्षा से है जो विशिष्ट बालकों को दी जाती है वह शिक्षा जो प्रतिभाशाली युवा पिछड़े बालकों को दी जाती है विशिष्ट बालकों की सामान्य बालक को से भिन्न शैक्षिक मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है
शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय कोष के अनुसार वह शिक्षा जो इन बच्चों को दी जाती है जो विशेष शैक्षिक उपचार की इसलिए अपेक्षा करते हैं क्योंकि या तो वे प्रतिभाशाली हैं या शारीरिक या मानसिक दृष्टि से विकलांग है और यह शैक्षिक दृष्टि से सामान्य से भिन्न है
जेडी हंट के अनुसार" विशिष्ट शिक्षा व शिक्षा है जो शारीरिक संवेगात्मक या सामाजिक विशेषताओं में सामान्य बालकों की शिक्षा से अलग है।"

विशिष्ट विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व
किसी भी कक्षा में विभिन्न तरह के बच्चे होते हैं जिनकी अपनी अपनी आवश्यकताएं हो सकती हैं जैसे कुछ बच्चे अक्षरों को उल्टा लिखते हैं कुछ की श्रवण शक्ति कम होती है कुछ मंदबुद्धि वाले होते हैं सभी बच्चे सामान्य गति से नहीं सीख पाते हैं कुछ बच्चों का उच्चारण फर्स्ट नहीं होता है जिसके कारण इन बच्चों का विकास एवं दैनिक कार्यशीलता प्रभावित होती है। इन अभिनेताओं के कारण इन बच्चों के पालन पोषण में कुछ भिन्न या विशिष्ट तरीके अपनाने की आवश्यकता होती है उनकी शिक्षा के लिए विशेष योजना बनानी पड़ती है यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि उनके अनुकूलतम विकास को बढ़ावा मिले अभिभावकों और शिक्षकों को इन बच्चों को बोलना लिखना चलने फिरने मित्र बनाने और कौशल और संकल्पना ए जो सामान्य बच्चों के विकास के दौरान सहज रूप से प्राप्त कर लेते हैं उन्हें अर्जित कराने और सिखाने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं इन बच्चों की कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो अधिकांश बच्चों की जरूरतों से भिन्न होते हैं अर्थात उनकी विशेष जरूरत।


विशिष्ट विद्यालय के उद्देश्य
प्रतीक शिक्षा व्यवस्था या संस्था के कुछ लक्ष्य बहुत तेज होते हैं इसी प्रकार विशिष्ट शिक्षा भी सामान्य शिक्षा की तरह देश के विकास समाज का पुनर्गठन नागरिक विकास समाज में फैली बुराइयों मिटाने आदि विभिन्न प्रकार के उद्देश्य लेकर चलती है इन उद्देश्यों के अतिरिक्त विशिष्ट शिक्षा के कुछ निम्नलिखित उद्देश्य है
• विशिष्ट बच्चों की विशेष आवश्यकताओं की पूर्व पहचान तथा निर्धारणकरना
• शारीरिक रूप से बाधित बालकों का पुनर्वास करना
• विशिष्ट शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विशेष बच्चे का सर्वांगीण विकास करना है
• विशेष बच्चों को किस प्रकार का वातावरण प्रदान करना जिससे देश देश की मुख्यधारा से जुड़े रह सकें
उनको सामान्य विकास के लिए तैयार करना उनको इस योग्य बनाना कि वे जीवन की समस्याओं का साहस व आत्मविश्वास से सामना कर सकें।
कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होने वाली विभिन्न नेताओं के बावजूद विशिष्ट बच्चे कई प्रकार से अपनी आयु के सामान्य बच्चों के समान होते हैं।


विशिष्ट शिक्षा का महत्व


• विशिष्ट शिक्षा विशेष बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करती है चाहे वह बच्चा प्रतिभाशाली हो या पिछड़ा
• विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों को समाज के साथ समायोजन में सहायता करती है
• विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों की पहचान व निदान में सहायक है
• विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति विकासात्मक है विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बालकों को आत्मनिर्भर बनाती है तथा उनमें आत्मविश्वास का संचार करती है।
• विशिष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षा सामग्री विशेष पाठ्यक्रम व विशेष प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों की आवश्यकता होती है।
• यह शिक्षा बालकों की क्षमताओं योग्यताओं रुचि युवा कवियों को ध्यान में रखकर दी जाती है
• विशिष्ट शिक्षा लोगों के विशिष्ट बालकों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाती हैं।




विशिष्ट विद्यालय के प्रकार
Special school for children with physical disability
Special school for social development
special school for children with intellectual disability
Hospital School


विशिष्ट विद्यालय की विशेषताएं
विशिष्ट शिक्षा की पहुंच दूर-दूर तक है विशिष्ट शिक्षा की प्रकृति उपचारात्मक है विशिष्ट शिक्षा उपचारात्मक होने के साथ-साथ विशिष्ट बालकों की विशिष्टता की पहचान है विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बालकों को एक विश्वसनीय वातावरण प्रदान करती है जो कि उसकी विशिष्टता को समायोजित करने में सहायता प्रदान करता है विशिष्ट शिक्षा किसी एक की विशेषता पर केंद्रित होती है तथा कहने का तात्पर्य किसी एक आवश्यकता पर अपना ध्यान केंद्रित कर उसे पूरा करती है।
विशिष्ट शिक्षा विकास उन्मुख भी है इसमें विशिष्ट बालकों के विकास से संबंधित जितनी भी विषय हैं उन सभी को अपनाया जाता है विशिष्ट शिक्षा प्रयोगों पर अत्यधिक आधारित है इसमें विशिष्ट बालक की शिक्षा हेतु मानविकी करण को प्रोत्साहित किया जाता है विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बालको और सामान्य बालकों में पहचान के अंतर को स्पष्ट करती है विशिष्ट बालक को विशिष्ट शिक्षा की सहायता से अधिगम हेतु स्वास्थ्य अनुकूलित वातावरण प्रदान किया जाता है विशिष्ट शिक्षा तकनीकी पर अधिक से अधिक निर्भर होती है इस निर्भरता के साथ साथिया शिक्षा विशिष्ट बालकों के लिए विशिष्ट उपकरणों व यंत्रों के भी प्रयोग पर जोर देते हैं तकनीकी उपयुक्त विद्या शिक्षण सामग्री के मेलजोल से कक्षा गत परिस्थितियों के अंतर्गत अधिगम हेतु सुगम वातावरण तैयार किया जा सकता है विशिष्ट शिक्षा माता-पिता व अभिभावकों को भी विशिष्ट बालकों के विषय में जानने में सहायता प्रदान करती है विशिष्ट शिक्षा शिक्षक को विशिष्ट बालक के मनोविज्ञान को समझने में अधिक से अधिक सहायता प्रदान करती है।












 

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