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Wednesday 13 January 2021

शिक्षा का अधिकार(,शिक्षा में नवाचार एवं नवीन प्रवृतियां,)

 शिक्षा का अधिकार

शिक्षा के अधिकार का संक्षिप्त विवेचन

1 अप्रैल 2010 से देशभर में लागू शिक्षा का अधिकार आरटीआई कानून में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है इस कानून पर अभी सर्व शिक्षा अभियान के तहत अमल किया जा रहा है। वास्तव में आज हम जिस समय का सामना कर रहे हैं उसे बेहद नाजुक समय कहा जा सकता है आज के शिक्षा के ढांचे को देखकर लगता है कि हम आज भी 0 मात्र हैं जहां बड़े शहरों में स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी या उच्च शिक्षा संस्थान है वहीं गांवों और दूर-दराज के इलाकों या कस्बों में निचले स्तर के स्कूल हैं लेकिन टूटे-फूटे भवनों सुविधाओं और तकलीफों के साए में तथा विनय स्टाफ  भला उन्हें कैसे चलाया जा सकता है 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष की उम्र के प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है संविधान के 86 में संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को प्रभावी  बनाया गया परंतु हम सोचे क्या सही मायने में शिक्षा मुफ्त हुई भी है वास्तव में आज भी हमारे देशों में निरक्षर लोगों की संख्या दुनिया के किसी भी और देश से अधिक है।
भारतीय संविधान को विश्व का सबसे विस्तृत संविधान के रूप में माना जाता है 15 अगस्त सन 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ स्वतंत्रता के पश्चात जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया इस संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन शिक्षा का अधिकार एक विवक्षित अधिकार है यह अधिकार जीवन सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है अनुच्छेद 21 में कहा गया है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति को जीवन सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। जीवन सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का यह मूल अधिकार नागरिकों को अपने जीवन को सुरक्षित रखने एवं सार्थक ढंग से जीने की अनुभूति कराता है इस अवधि में शिक्षा प्राप्त करना एक अप्रमाणित अधिकार के रूप में सम्मिलित हो जाता है। अनुच्छेद 41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य तथा विकास की सीमाओं के अंतर्गत कार्य प्राप्त करने शिक्षा बेकारी बुढ़ापा बीमारी या असमर्थता अथवा अन्य अभाव की स्थिति में जन सहायता प्राप्त करने के प्रभावी उपाय करेगा अतः यह स्पष्ट है कि राज्य अपनी सीमाओं के अंतर्गत शिक्षा की प्रभावी व्यवस्था करने के संवैधानिक रूप से बाध्य है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में नागरिकों को विचारों की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति तथा रोजगार संबंधी जो अधिकार दिए गए हैं वह भी शिक्षा के अधिकार की ओर संकेत करते हैं सन 2002 में 86 में संविधान के संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21 का को सम्मिलित किया गया जिसमें प्रारंभिक शिक्षा को नागरिक का मूल अधिकार बना दिया गया अनुच्छेद 21 क मैं कहा गया है कि राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य शिक्षा यथा निर्धारित मौलिक अधिकार के रूप में दी जाए गी। निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा बाल विकास का अधिकार अधिनियम 2009 अनुच्छेद 21 क के अंतर्गत परिकल्पित अनुवर्ती विधान का प्रतिनिधित्व करता है जिसका अर्थ प्रत्येक बच्चे को कुछ आवश्यक मानदंडों एवं मानकों को पूरा करने वाले औपचारिक विद्यालयों में संतोषप्रद एवं गुणवत्तापूर्ण पूर्वकालिक प्राथमिक शिक्षा का अधिकार प्रदान करना है। 1 अप्रैल 2010 से शिक्षा का अधिकार प्रभावी हुआ आरटीई अधिनियम के शीर्षक में निशुल्क एवं अनिवार्य शब्द सम्मिलित हैं निशुल्क शिक्षा का अर्थ है कि किसी बालक को उसके माता पिता सरकार के द्वारा स्थापित विद्यालय से अधिक विद्यालयों में प्रवेश दिलाते हैं तो प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए कोई दवा नहीं कर सकते अनिवार्य शिक्षा शब्द से तात्पर्य सरकार द्वारा स्थापित विद्यालयों में 6 से 14 वर्ष तक आयु के प्रत्येक बालक का अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश दिलाने उपस्थित तथा उसे प्रारंभिक शिक्षा का पूर्ण कराने को सुनिश्चित करने की बाध्यता से है
प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रावधान
सन 2009 में आरटीई अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान है
नजदीक के विद्यालय में प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक बालक को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रारंभिक शिक्षा से तात्पर्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना है। यह अधिनियम गैर दाख़िल बच्चे की आयु के अनुरूप कक्षा में प्रवेश का प्रावधान करता है यह निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने तथा केंद्र राज्य एवं राज्य सरकारों के मध्य वित्तीय एवं अन्य उत्तरदायित्व की भागीदारी में उपरोक्त  संस्कारों स्थानीय प्राधिकरण एवं अभिभावकों के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व को दर्शाता है शिक्षक छात्र अनुपात भवन निर्माण स्कूल के कार्य घंटों शिक्षकों के कार्य घंटों से संबंधित मानक एवं मानदंड निर्धारित करता है यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षक छात्र अनुपात प्रत्येक स्कूल में लागू किया जाए तथा राज्य जिला या ब्लॉक स्तर के पदों में ग्रामीण शहरी का संतुलन भी रखा जाए यह शिक्षकों की तर्कसंगत नियुक्ति का प्रावधान करता है। यह 10 वर्षीय जनगणना स्थानीय प्राधिकरण राज्य विधान मंडल एवं संसद के चुनावों तथा आपदा राहत को छोड़कर गैर शैक्षिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति का निषेध करता है। यह प्रशिक्षित शिक्षकों अर्थात अपेक्षित शैक्षिक योग्यता वाले शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान करता है यह शारीरिक दंड मानसिक उत्पीड़न बच्चों के प्रवेश के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया कैपिटेशन फीस शिक्षकों द्वारा निजी शिक्षण तथा मान्यता रहित विद्यालय के संचालन का निषेध करता है यह संविधान में निर्धारित मूल्य तथा मूल्यों के अनुरूप पाठ्यक्रम के विकास का प्रावधान करता है जो  ज्ञान बालक को ज्ञान क्षमता एवं प्रतिभा का निर्माण करते हुए बहुमुखी विकास को सुनिश्चित कर सकेगा।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उद्देश्य
शिक्षा का अधिकार अधिनियम मिशन है-
शिक्षा का राष्ट्रीय और   समन्वित  स्वरूप लागू करने के लिए राज्यों और संघ राज्यों को भागीदार बनाना। सभी बच्चों को प्राथमिक स्तर पर निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा सुलभ कराना उत्तम विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता की सहायता से संवैधानिक मूल्यों को समर्पित समाज का निर्माण करना। उत्तम माध्यमिक शिक्षा के लिए अवसरों को सार्वभौमिक बनाना तथा विश्व स्तरीय शिक्षा पाठ्यचर्या तैयार करना जिससे बालकों में योग्यताओं का विकास किया जा सके। कमजोर बच्चों के अतिरिक्त वंचित वर्गों को भी सम्मिलित करके माध्यमिक शिक्षा प्रणाली को सामान बनाना। वर्तमान संस्थानों को उन्नत करके और नवीन संस्थानों की स्थापना करके शिक्षा के उत्तम एवं उन्नत स्तर को सुनिश्चित करना।

शैक्षिक कार्यक्रम
•  प्रारंभिक स्तर सर्व शिक्षा अभियान और मध्यान भोजन व्यवस्था करना
•  माध्यमिक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा अभियान आदर्श विद्यालय
•  व्यवसायिक शिक्षा
• बालिका छात्रावास
• समन्वित  शिक्षा आईसीटी स्कूल
• प्रौढ़ शिक्षा साक्षर भारत
• अध्यापक शिक्षा
• महिला शिक्षा महिला सामाख्या
• अल्पसंख्यक शिक्षा मदरसों में उत्तम शिक्षा प्रदान करने की योजना
• अल्पसंख्यक संस्थानों का विकास

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