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Sunday 13 December 2020

आदर्शवाद और शिक्षक

  आदर्शवाद और शिक्षक

आदर्शवादी विचारकों के अनुसार शिक्षक का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षक ही वह व्यक्ति है जो अपने ज्ञान आदर्श अनुभव और सद्गुणों से बालक को प्रभावित करता है और उसके आदर्श व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक होता है यही कारण है कि फ्रोबेल ने एक अध्यापक को माली के समान बताया है उनके अनुसार जिस प्रकार बगीचे में लगे पौधे को उचित पोषण के लिए माली की आवश्यकता होती है उसी प्रकार विद्यालय में अध्यापक भी बालकों के लिए उपर्युक्त शैक्षिक वातावरण प्रस्तुत करके उनके विकास में सहायक होता है।

 आदर्शवाद और विद्यालय

आदर्श वादियों के अनुसार विद्यालय एक सर्वाधिक शिक्षा का केंद्र है इसे हर प्रकार से आदर्श होना चाहिए विद्यालय का शैक्षिक और सामाजिक परिवेश आदर्श पूर्ण होना चाहिए वहां के आचार्य और प्राचार्य चरित्रवान और अनुकरणीय होने चाहिए तथा वहां का भौतिक परिवेश भी सुंदर अनुभूति वाला होना चाहिए इस प्रकार से आदर्शवादी विचारक विद्यालय में अनुशासन और आदर्श को सु विकसित करने पर बल देते हैं।

आदर्शवाद और शिक्षार्थी

आदर्शवादी विचारक शिक्षा को बाल केंद्रित नहीं मानते उनके अनुसार शिक्षा आदर्श और विचार केंद्रित होनी चाहिए आदर्श शिक्षा में शिक्षार्थी का मार्ग निर्देशन इस प्रकार करता है कि बालक स्वयं ही अपनी अंतर्निहित शक्तियों को पहचान सके और उच्च आदर्शो और विचारों को प्राप्त करने में समर्थ हो सके।

आदर्शवाद और अनुशासन

आदर्श वाद विचारक शिक्षा में प्रभाव आत्मक अनुशासन के कठोर पक्षपाती थे उनका विश्वास था कि अनुशासन में रहकर बालक का पूर्ण विकास संभव है अनुशासन के द्वारा ही वह आत्मानुभूति कर सकता है और उसके आध्यात्मिक गुणों का विकास हो सकता है आदर्शवाद विचारक अनुशासन पर बल देते थे परंतु वह धनात्मक अनुशासन के पक्ष में नहीं होते थे क्योंकि इसके द्वारा बालक का विकास अवरूद्ध हो सकता है

आदर्शवाद के गुण

आदर्शवादी शिक्षा में बालकों को सर्वमान्य मूल्यों को विकसित करने पर बल दिया गया शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण विस्तृत रूप में किया गया आदर्श शिक्षक शिक्षक को सर्वोपरि मानते हैं आदर्शवाद धनात्मक अनुशासन का विरोध करता है और आत्मानुशासन के सिद्धांत पर बल देता है आदर्शवाद शिक्षा में व्यक्ति और समाज दोनों को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों को समान महत्व दिया गया है आदर्शवाद शिक्षा बाल केंद्रित नहीं थी लेकिन इसमें बालक के व्यक्ति का आदर किया जाता है आदर्शवाद शिक्षा आध्यात्मिक और धार्मिक नैतिक गुणों पर बल देता है।

आदर्शवाद के दोष

आदर्शवादी शिक्षा सैद्धांतिक अधिक थी और व्यवहारिक कम वर्तमान युग भौतिक युग है आज व्यक्ति के सामने विभिन्न प्रकार की भौतिक समस्याएं जिनके समाधान के लिए भौतिक विषयों को ही पढ़ाए जाने की आवश्यकता है परंतु आदर्शवाद में अध्यात्म पर ही अधिक बल दिया जाता है जो आज के समय की समस्याओं के लिए बिल्कुल उचित नहीं थी आदर्शवाद में शिक्षा बाल केंद्रित नहीं थी शिक्षक को ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था आदर्श वादियों ने शिक्षा को किसी निश्चित शिक्षण विधि का प्रतिपादन नहीं किया आदर्शवाद शिक्षा के पाठ्यक्रम में व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन से संबंधित विषयों को ही महत्व दिया जाता था।


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