Thursday 10 December 2020

प्लेटो का शैक्षिक दर्शन part 5

 प्लेटो का शैक्षिक दर्शन



शिक्षा का अर्थ

प्लेटो के अनुसार शिक्षा से अभिप्राय उस प्रशिक्षण से है जिससे अच्छी आदतों के द्वारा बालकों में नैतिकता का विकास होता है इन्होंने शिक्षा को एक नैतिक शिक्षण माना है जिनके द्वारा व्यक्ति की प्रवृत्तियों को सुधारा जा सकता है यह भी शिक्षा को सत्यम शिवम सुंदरम का साधन मानते हैं

शिक्षा के उद्देश्य

1  ईश्वर को जानना शिक्षा का यह दायित्व है कि वह बालक को इस योग्य बनाएं कि वह ईश्वर के साथ आत्मसाक्षात्कार कर सकें।
2  सत्यम शिवम सुंदरम के प्रति आस्था को उत्पन्न करना प्लेटो ने शिक्षा का प्रारंभिक उद्देश्य सत्यम शिवम सुंदरम को विकास माना है तथा उसे प्रारंभिक शिक्षा के समान ही प्राप्त करने पर बल दिया है
3   व्यक्तित्व का विकास करना प्लेटो के अनुसार शिक्षा द्वारा ऐसा जीवन निर्माण करना है जो प्रेम न्याय और सौंदर्य का जीवन हो
4   नागरिकता के गुणों का विकास मानव जीवन में संतुलन स्थापित करना
5  शिक्षा का लक्ष्य बालक द्वारा मानव में व्याप्त विरोधी तत्व को पहचानना तथा इसमें संतुलन स्थापित करना होना चाहिए

शिक्षा की पाठ्यचर्या

प्लेटो प्रथम शिक्षा शास्त्री हैं फिर दार्शनिक हैं प्लेटो के अनुसार पहले वर्षों में अंकगणित जेमिति संगीत नक्षत्र विद्या की कुछ बातें सीखनी चाहिए माध्यमिक स्तर पर वह खेलकूद व्यायाम शैक्षिक प्रशिक्षण गणित कविता तथा धर्म शास्त्र के शिक्षा पर बल देते हैं उच्च स्तर की पाठ्यचर्या में प्लेटो DIELECTRIC को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान देते हैं जिसका अर्थ होता है सत्य की खोज इसी के प्रशिक्षण से व्यक्ति दार्शनिक बन सकता है।

प्लेटो के अनुसार शिक्षण विधि

  • वाद विवाद विधि
  • प्रश्नोत्तर विधि
  •  वार्तालाप विधि 
  • प्रयोगात्मक विधि 
  • स्वाध्याय विधि

प्लेटो के अनुसार शिक्षक

प्लेटो ने शिक्षक को महत्वपूर्ण स्थान दिया है उनके अनुसार शिक्षक आदर्श गुणों से युक्त और अनुभवी होना चाहिए जिससे वह शिक्षा का कार्य अच्छे से कर सकें प्लेटो स्वयं शिक्षक थे इन्होंने दार्शनिकों को ही समाज का कर्णधार माना है।

प्लेटो के अनुसार अनुशासन

प्लेटो का विश्वास था कि बालक स्वभाव से ही नियमों में बंधा नहीं रहना चाहता नियंत्रण में रखने के लिए उसे दंडवा पुरस्कार भी देना चाहिए प्लेट को मुक्त आत्मक अनुशासन के विरोधी थे इनके अनुसार बालक को एक निश्चित सीमा में स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।

प्लेटो के अनुसार विद्यालय

प्लेटो ने शिक्षा की प्रेरणा सुकरात से ली थी। प्लेटो ने एकेडमी नामक संस्था को शिक्षा प्रदान करने का केंद्र बनाया क्योंकि यह निश्चित स्थान पर शिक्षा प्रदान करने के समर्थक थे इनके अनुसार विद्यालय मानवीकरण एवं सामाजिकरण करने वाली संस्था है जो बालक को सहयोगी और सामाजिक जीवन व्यतीत करने की कला सिखाती है

 प्लेटो का शिक्षा में योगदान

प्लेटो ने ही सबसे पहले चश्मा अवस्था से लेकर संपूर्ण जीवन शिक्षा योजना सुव्यवस्थित ढंग निर्मित करके प्रस्तुत की।

 प्लेटो ने शिक्षा में आदर्शवादी दृष्टिकोण का समावेश किया ।प्लेटो ने शिक्षा को बुद्धि विभेद के आधार पर देने की योजना प्रस्तुत की ।

प्लेटो ने संगीत की शिक्षा व शारीरिक शिक्षा को समझने का प्रयास किया ।

प्लेटो ने स्त्रियों और पुरुषों को शिक्षा में समान स्थान देने की बात की उनका यह विचार आधुनिक विचारधारा के अनुकूल है।

 प्लेटो ने शिक्षा संबंधी सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप प्रदान किया इसके लिए उन्होंने अकैडमी नामक संस्था की स्थापना की। प्लेटों दार्शनिकों में एक बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं।

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