Monday 7 December 2020

शिक्षा में आदर्शवाद प्लेटो का जीवन परिचय part 5

 शिक्षा में आदर्शवाद 
प्लेटो का जीवन परिचय 


मुख्य पुस्तकेे
  • द रिपब्लिक
  •  द लॉज
  • प्रोटागोरस
  • सिंपोजियम
  • टिमियस
  • क्रिटिक्स
  • क्राइटो
  • एपालॉजी
  • द स्टेटस मैन

 शिक्षा में आदर्शवाद

 

पाश्चत्य शिक्षा के इतिहास में प्लेटो  का महत्वपूर्ण स्थान है प्लूटो का जन्म 427 ईसा पूर्व एथेंस में हुआ था इनके पिता का नाम एयरस्टोन था इनका जन्म एथेंस के एक कुलीन परिवार में हुआ था जिसके कारण उनका प्रारंभिक नाम एरिस्टोकिल्स पड़ा बाद में वे प्लेटो के नाम से विख्यात हुए प्लेटो बचपन से ही प्रतिभावान बालक थे कविता, ग्रीक साहित्य ,दर्शन एवं खेलों में उनकी विशेष रूचि थी प्रारंभ में हेराक्लीटस के शिष्य क्रेटीलस से प्लेटो ने शिक्षा प्राप्त की थी 20 वर्ष की अवस्था में उसने अपने गुरु सुकरात से भेंट की और लगभग 8 वर्ष तक उनके संपर्क में रहा उसके किशोर एवं फ्रॉड मस्तिष्क पर सबसे अधिक प्रभाव सुकरात का पड़ा इनके शिक्षा संबंधी विचारों पर सुकरात  सोफ़िटो, स्पार्टा की शिक्षा पद्धति तथा एथेंस की तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों का विशेष प्रभाव पड़ा 399 ईसवी पूर्व में सुकरात के दिए गए मृत्युदंड से आहत लेटर में एथेंस छोड़ दिया था 40 वर्ष की अवस्था में वह पूर्ण स्वदेश लौटा और वहां 386 ईसवी पूर्व में इसमें एक शिक्षा पीठ खोला जिसमें वह जीवन पर्यंत अध्ययन कार्य करते रहें शिक्षा पीठ महिला दोनों के लिए खुला था तथा इसमें दर्शनशास्त्र गणित और विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी मानव विज्ञान के अध्ययन के लिए स्थाई संस्था के रूप में प्लेटो ने शिक्षा पीठ स्थापित किया था उन्होंने अनेक पुस्तकों की रचना भी की इनकी मृत्यु 347 ईसवी पूर्व में हुई 


प्लेटो की प्रमुख रचनाएं

प्लेटो के दार्शनिक एवं शिक्षा संबंधी विचारों का अध्ययन उनकी कृतियों द्वारा किया जा सकता है

प्लेटो की विभिन्न पुस्तकें जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं

शिक्षा पर जिन जिन दार्शनिक विचार धाराओं का प्रभाव पड़ा मुख्य रूप से उनकी संख्या 4 है आदर्शवाद उन्हीं में से एक प्रमुख और सबसे प्राचीन विचारधारा है। प्रारंभ से ही यह विचारधारा शिक्षा को प्रभावित करती आ रही है इस विचारधारा के मुख्य समर्थक सुकरात थी परंतु इस को विस्तृत करने का कार्य उनके शिष्य प्लेटो ने किया । 

अर्थ और परिभाषा

आदर्शवाद को अंग्रेजी में आइडियलिज्म कहते हैं यह दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द idea दूसरा शब्द lsim ।

Idea का अर्थ विचार तथा ism का अर्थ है वाद इस तरह आइडियलिज्म का अर्थ हुआ विचार वाद वास्तव में आइडियलिज्म विचार वाद होता है। 

परिभाषाएं

डीएम दत्ता के अनुसार "आदर्शवाद वह सिद्धांत है जो आध्यात्मिक सत्ता को मानता है"

रास के अनुसार "आदर्शवादी दर्शन के अनेक और विविध रूप हैं पर सब का आधारभूत तत्व यह है कि संसार का आवश्यक उत्पादन मन या आत्मा है और वास्तविक सत्य मानसिक स्वरूप का है"

आदर्शवाद के आधारभूत सिद्धांत

भौतिक जगत की अपेक्षा में आध्यात्मिक जगत की अपेक्षा अधिक हैं

आदर्श वादियों ने संपूर्ण जगत को दो भागों में बांटा है 1 भौतिक जगत 2 आध्यात्मिक जगत  इनमें से उन्होंने भौतिक जगत की अपेक्षा आध्यात्मिक जगत को अधिक सत्य माना उनके अनुसार भौतिक जगत आध्यात्मिक जगत की झलक मात्र है आदर्शवादी सत्ता ही सबसे बड़ी सत्ता है जिसे समझने के लिए सारा संसार प्रयत्नशील है जिसको समझना जीवन का परम लक्ष्य है

 जड़ प्रकृति की अपेक्षा मानव प्राणी अधिक महत्वपूर्ण है

आदर्श वादियों में जड़ प्रकृति की अपेक्षा महत्व माना है क्योंकि मानव प्राणी बुद्धि युक्त है बुद्धि के द्वारा ही वह परमात्मा के चमत्कार को आभास करता है

वस्तु कीअपेक्षा विचार अधिक महत्वपूर्ण

आदर्शवाद वस्तु की अपेक्षा विचारों को विचारों को अधिक महत्वपूर्ण मानते थे उनके अनुसार विचार ही सकते और वास्तविक है वस्तु नहींं इसी सत्य और वास्तविक विचारों मेंं संपूर्ण जगत के समस्तत तत्व निहित हैं 


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