Monday 30 November 2020

शिक्षा दर्शन के क्षेत्र पार्ट 2

  शिक्षा दर्शन के क्षेत्र


व्यक्ति का संपूर्ण जीवन शिक्षा दर्शन का ही क्षेत्र है क्योंकि शिक्षा और दर्शन जीवन के विषय हैं इसके अंतर्गत जीवन को व्यक्ति को सामाजिक परिस्थितियों में रखा जाता है और उसके विकास का अवसर प्रदान किया जाता है

शिक्षा दर्शन के क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है

शिक्षा दर्शन शिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण में प्रमुख भूमिका निभाता है। शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निश्चित प्रकार के पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है। पाठ्यक्रम को क्रियान्वित करने वाला शिक्षण होता है और इसकी सफलता शिक्षण विधियों पर निर्भर होती है शिक्षा दर्शन इस दिशा में काफी सहायता करता है। शिक्षण विधियों की सफलता के लिए सहायक सामग्रियों का निर्धारण शिक्षा दर्शन द्वारा किया जाता है। विद्यालय में अनुशासन का क्या स्वरूप हो या अनुशासनहीनता को कैसे दूर किया जाए इन विषयों का अध्ययन शिक्षा दर्शन में किया जाता है


शिक्षा दर्शन की आवश्यकता

  • आधार के कारण आवश्यकता

व्यक्ति के जीवन दर्शन के अनुसार ही शिक्षा प्रक्रिया भी चलती है बिना दर्शन के आधार लिए हम शिक्षा के कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं।


  • व्यापक दृष्टिकोण के कारण आवश्यकता

दर्शन केवल आध्यात्मिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह आज आर्थिक राजनैतिक जैविक धार्मिक नैतिक सभी क्षेत्रों में व्यापक है अतः इस प्रकार के दृष्टिकोण के लिए शिक्षा दर्शन की आवश्यकता है

  • शिक्षक की दृष्टिकोण से आवश्यकता

शिक्षक के संबंध शिक्षा के उद्देश्यों पाठ्यक्रम शिक्षण विधियों अनुशासन सभी बातों से रहता है और शिक्षा दर्शन का क्षेत्र भी यही है अतः प्रत्येक शिक्षक को शिक्षा दर्शन का ज्ञान होना चाहिए


शैक्षिक समस्याओं के समाधान की दृष्टि से आवश्यकता

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक समस्याएं पाई जाती हैं जिनका  सामना शिक्षक को करना पड़ता है इन समस्याओं का समाधान शिक्षक शिक्षा दर्शन की सहायता से कर सकता

  • अनुशासन की दृष्टि से आवश्यकता

अनुशासन समस्या के समाधान के लिए शिक्षा दर्शन के ज्ञान की आवश्यकता होती है।

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