Wednesday 2 December 2020

शिक्षा दर्शन के उद्देश्य, पार्ट 3

 शिक्षा दर्शन के उद्देश्य

1शिक्षा दर्शन की विभिन्न अंग

शिक्षक विद्यार्थी पाठ्यक्रम शिक्षण संस्थाएं आदि पर मौलिक रूप से विचार करना

2 शिक्षा दर्शन के उद्देश्यों का निर्धारण करना

जिसके बिना शिक्षा की प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती है शिक्षा दर्शन छात्रों को उनकी शिक्षा की ओर उन्मुख करता है शिक्षा दर्शन का एक उद्देश्य समाज या देश की संस्कृति की सुरक्षा करना है विद्यालय में उद्देश्यों के संचालन के लिए भी उचित मार्गदर्शन प्रदान करना है शिक्षा दर्शन है

शिक्षा और दर्शन में अंतर

दर्शनशास्त्र में समय-समय पर शिक्षा के विभिन्न अंगों को प्रभावित किया है अर्थात दार्शनिक विचार धाराओं में परिवर्तन के साथ साथ शिक्षा के उद्देश्य पाठ्यक्रम शिक्षण विधि और पाठ्य पुस्तकों में परिवर्तन होता रहता है


शिक्षा और दर्शन का पारस्परिक संबंध

शिक्षा और दर्शन दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं दर्शन और शिक्षा में घनिष्ठ संबंध है प्राचीन काल से ही यह दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं इसी प्रकार शिक्षा ही वह साधन जिससे विभिन्न दार्शनिक विचार धाराओं का विकास हुआ है

दर्शन और शिक्षा मंत्री पर निर्भर है

दर्शन और शिक्षा में पारस्परिक संबंध होने के कारण एक दूसरे पर निर्भर है दर्शन शिक्षा के समस्त अंगों को प्रभावित करता है और शिक्षा दार्शनिक दृष्टिकोण पर नियंत्रण करती है

जेंटल के अनुसार "दर्शन की सहायता के बिना शिक्षा की प्रक्रिया सही मार्ग पर नहीं चल सकती"

 दार्शनिक विचार धाराओं को समझे बिना शैक्षिक विचार अंधकार की ओर ले जाता है। शिक्षा और दर्शन में घनिष्ठ संबंध है यह एक दूसरे को प्रभावित करते हैं ऐसी स्थिति में अगर हम शिक्षा जीवन उपयोगी और उपयुक्त बनाना चाहते हैं तो हमें दार्शनिक विचार धाराओं की सहायता से शिक्षा के उद्देश्य या विचारों में स्पष्टता लाना होगा।

 सभी दार्शनिक शिक्षक भी रहे हैं

प्राचीन काल से लेकर आज तक की शिक्षा के इतिहास को अगर देखें तो यह ज्ञात होता है कि लगभग सभी उच्च कोटि के दार्शनिक शिक्षक भी रहे हैं प्राचीन काल में सुकरात, प्लेटो और अरस्तू आधुनिक काल में लॉक अनु सो हरबर्ट स्पेंसर जॉन डीवी गांधी टैगोर स्वामी विवेकानंद आदि के नाम उल्लेखनीय हैं

दर्शन शिक्षा का सिद्धांत

शिक्षा के सामान्य सिद्धांतों का निर्धारण दर्शन के द्वारा ही होता है महोदय जॉन डीवी के अनुसार "दर्शन अपने सामान्य रूप में शिक्षा का सिद्धांत है।"

शिक्षा और दर्शन का जीवन से अटूट संबंध है

शिक्षा मानव के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है शिक्षा की प्रक्रिया व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की चलती है अतः शिक्षा जीवन का अभिन्न अंग है दर्शन इसी जीवन के लक्ष्य मूल्य और आदर्श को निश्चित करता है


शिक्षा के विभिन्न अंग दर्शनशास्त्र से प्रभावित होते हैं

शिक्षा और दर्शन पर परस्पर घनिष्ठ संबंध इससे और भी स्पष्ट हो जाता है क्योंकि दर्शन शिक्षा के विभिन्न अंगों को हर प्रकार से प्रभावित करता है शिक्षा के उद्देश्य पाठ्यक्रम पाठ्यपुस्तक शिक्षक शिक्षण विधियां और अनुशासन के स्वरूप तत्कालीन विचारधाराओं के अनुसार ही निर्धारित किए जाते हैं

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