Friday 20 November 2020

शिक्षा दर्शन शास्त्र part 1

 शिक्षा दर्शन शास्त्र


शिक्षा दर्शन का अर्थ जब संसार की रचना हुई तभी से व्यक्ति ज्ञान की खोज में भटकता रहा आज भी वह इसके लिए निरंतर अग्रसर है।

शिक्षा का स्वरूप
शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'शिक्षा' धातु से हुई है जिसका अर्थ है 'सीखना'। आंग्ल भाषा में शिक्षा को एजुकेशन कहा जाता है इस शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के EDUCATUM शब्द से हुई है यह E+DUCO शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है "अंदर से बाहर की ओर अग्रसर करना या बढ़ाना"। लेटिन भाषा के दो अन्य शब्द educate or educere को भी एजुकेशन शब्द का समानार्थक माना जा सकता है।

व्यापक अर्थ
व्यापक अर्थ के अनुसार शिक्षा एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है 

जे.एस. मैकेंजी के अनुसार "शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन भर चलती है और जीवन के प्रत्येक अनुभव से उसके भंडार में वृद्धि होती है ।"

शिक्षा का संकुचित अर्थ
संकुचित अर्थ में शिक्षा से तात्पर्य उन समस्त प्रभावों से है जो समाज विशेष जानबूझकर अपने सदस्यों पर डालता है तथा उन प्रभावों को व्यवस्थित एवं योजनाबद्ध भी करता है।

दर्शन
दर्शन शब्द को अंग्रेजी में philosophy कहा जाता है philosophy यूनानी भाषा के दो शब्दों philoso और sophia शब्द से हुई है। philoso का अर्थ है प्रेम या अनुराग saphia का अर्थ है ज्ञान तथा विवेक इस प्रकार फिलोसोफिया दर्शन शास्त्र का अर्थ हुआ कि ज्ञान के प्रति प्रेम।
सुकरात के अनुसार " दार्शनिक वे हैं जो सत्य के दर्शन के प्रेमी और इच्छुक होते हैं"।

शिक्षा दर्शन का अर्थ और परिभाषा
 शिक्षा दर्शन दर्शन कीजिए एक शाखा है जिसमें 10 सिद्धांतों का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में होता है शिक्षा दर्शन शिक्षा से संबंधित सभी समस्याओं पर विचार करता है और उनका समाधान करने के लिए दार्शनिक दृष्टि से प्रयास करता है।

कनिंघम महोदय के अनुसार "शिक्षा दर्शन विभिन्न दार्शनिक विचार धाराओं के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के प्रयोग रूप में इन विचारधाराओं से अनेक समस्याओं की खोज के लिए निर्देशन लेता है।"

शिक्षा दर्शन का स्वरुप
शिक्षा दर्शन की दार्शनिक प्रवति उसके काजू में दिखाई पड़ती है शिक्षा दर्शन के कार्यों को तीन भागों में बाटा गया है-

1 नियमांक कार्य-
नए गाने इसके अंतर्गत शिक्षा दर्शन शिक्षा के तथ्यों एवं मूल्यों का समन्वय करके शैक्षिक प्रक्रिया के नियमों उद्देश्य आदेशों को निर्धारित करता है।

2 परिकल्पना आत्मक कार्य-
इसके अंतर्गत शिक्षा दर्शन की सीमाओं में विभिन्न ज्ञान विज्ञानों के निष्कर्षों को प्रस्तुत करते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि विश्व में मानव का क्या स्थान है

3- समीक्षात्मक कार्य-
इसके अंतर्गत दर्शन विभिन्न वैज्ञानिक निष्कर्षों की समीक्षा करता है इसी कारण दर्शन को विज्ञानों का विज्ञान भी कहा जाता है

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